उइगर मुस्लिम को लेकर वोटिंग से दूरी पर ओवैसी का सवाल- क्‍या शी जिनपिंग से डरते हैं पीएम मोदी?

in #delhi2 years ago

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNHRC) में चीन (China) के उइगर मुस्लिमों (Uighur Muslims) पर होने वाले कथित अत्याचार के मु्द्दे को लेकर अमेरिका (America) समेत कई देश गुरुवार (6 अक्टूबर) को एक प्रस्ताव लाए, जिससे भारत (India) समेत 10 देशों ने दूरी बना ली. भारत के तटस्थ रहने पर एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) पर निशाना साधा है.

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ओवैसी ने ट्वीट किया, ''क्या पीएम मोदी यूएनएचआरसी में उइगर मुद्दे पर एक अहम वोट से दूर रहने का विकल्प चुनकर चीन की मदद करने के भारत के फैसले का कारण बताएंगे? क्या वह शी जिनपिंग को नाराज करने से इतना डरते हैं जिससे वह 18 बार मिले? या भारत सही के लिए नहीं बोल सकता है?''

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को लेकर ट्वीट किया, ''हमारे विदेश मंत्री को अपनी विदेश नीति में अति यथार्थवाद का गाना गाने का शौक है. किस तरह की यथार्थवादी विदेश नीति आपको लद्दाख में आपके इलाके को नियंत्रित करने वाले एक दुश्मन पर दबाव बनाने की अनुमति नहीं देती है? या फिर यह कुछ और है क्योंकि उइगर लोग मुस्लिम हैं और चीन उन पर अत्याचार कर रहा है. सरकार नहीं बोलेगी, हमने ब्रिटेन के लीसेस्टर दंगों की निंदा तो की थी.''

उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर भारत के तटस्थ रहने पर ओवैसी ने जमकर पीएम मोदी को निशाना बनाया. उन्होंने ट्वीट करते हुए पीएम मोदी के चुप्पी का सच पूछा. ओवैसी ने ट्वीट में लिखा, ''झिंजियांग के मुद्दे पर मोदी साहेब आपकी चुप्पी के पीछे का सच क्या है? भारत के लोगों को बताइये कि आप डरते हैं, आशंकित हैं और चीन की ओर से लोगों पर किए जा रहे अत्याचार को लेकर आप कहा खड़े हैं.''

बता दें कि उइगर मुस्लिमों को लेकर चीन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड और आइसलैंड जैसे देश गुरुवार (6 अक्टूबर) को प्रस्ताव लेकर आए थे. प्रस्ताव को जरूरी वोट नहीं मिलने पर खारिज कर दिया गया और मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकी. चीन, पाकिस्तान और नेपाल समेत 19 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मत दिया. वहीं, भारत, यूक्रेन, ब्राजील, मेक्सिको, मलेशिया, अर्जेंटीना, आर्मेनिया, बेनिन, गांबिया और मलावी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.