नौ साल लंबी कानूनी जंग के बाद मिली जीत, ट्विन टावर ढहते ही 12 सेकेंड में हो गया अंत

in #delhi2 years ago

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर की नौ साल की लड़ाई का अंत 12 सेकेंड में हो गया। सेक्टर-93ए स्थित ट्विन टावर के 32 मंजिला एपेक्स और 29 मंजिला सियान रविवार को जमींदोज हो गए। इस काम को एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमोलिशन की तकनीकी टीम ने अंजाम तक पहुंचाया।

जीत का सेहरा एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के सिर बंधा है। हालांकि, चुनौती अभी भी 90 दिन की बाकी है। इस बीच प्राधिकरण को करीब 30 हजार टन मलबे को इको फ्रेंडली तरीके से निस्तारित करना है। दरअसल, नौ साल पहले जब भ्रष्टाचार की इमारत खड़ी करने को लेकर बिल्डर और आरडब्ल्यूए के बीच झगड़ा शुरू हुआ था तो न आरडब्ल्यूए ने और न ही बिल्डर ने इस प्रकार के अंत के बारे में सोचा था। लेकिन एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमोलिशन की टीम ने तकनीकी के आधार पर नौ सेकेंड में टावरों को ध्वस्त कर दिया।
ध्वस्तीकरण से पहले एडिफिस इंजीनियरिंग की तकनीकी विशेषज्ञों की टीम उत्कर्ष मेहता, मयूर मेहता, जिगर छेड़ा व अन्य ने ट्विन टावर की साइट को छावनी में तब्दील कर दिया था। दक्षिण अफ्रीकी सहयोगी जेट डिमोलिशन की टीम में जो ब्रिंकमैन, मार्टिनस, केविन स्मिथ समेत अन्य विशेषज्ञ मौजूद रहे। इनकी ओर से टावर गिराने पर पूरा रिसर्च किया गया।
कंट्रोल्ड ब्लास्ट तकनीक की ली मदद
फरवरी में साइट पर कब्जा लेने के बाद से सबसे बड़ा सवाल गिराने के तरीके पर बना हुआ था। इसके लिए जेट डिमोलिशन ने दो तरीके बताए। पहला, मैनुअल तरीके से 10 माह में औरे दूसरा, कंट्रोल्ड ब्लास्ट करके। दूसरे तरीके पर सहमति बनी। धमाका पूरी तरह से नियंत्रित रखना था। इससे बसावट के बीच खड़े टावर को गिराने की दिशा की अड़चन नहीं थी। मलबा सीधे नीचे गिरना था। इससे आस-पास की इमारतों के नुकसान होने की भी आशंका नहीं थी।

तकनीक वाटर फॉल इम्प्लोजन
दोनों टावर वाटर फॉल इम्प्लोजन तकनीक से गिराए गए। इससे पहले एक टावर को थोड़ा सा टेढ़ा भी किया गया, जिससे उसका मलबा नजदीकी टावरों तक न पहुंचे। रविवार विस्फोट होने के चार सेकेंड के भीतर पानी के झरने सरीखा दृश्य उभर आया। तभी इसे वाटर फॉल इम्प्लोजन तकनीक कहा गया। इसमें पहले बेसमेंट को ध्वस्त किया गया। इसके बाद ऊपर से नीचे एक-एक कर तल ढहते चले गए। पूरी इमारत सीधे बैठ गई। ध्वस्तीकरण ऐसा रहा कि बगल की नौ मीटर दूर के टावर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। वहीं, विस्फोटक के तौर पर सुपर पावर 90 क्लास-2 के 325 किलोग्राम का प्रयोग हुआ। सोलर कॉर्ड का प्रयोग हुआ, जो 8,400 मीटर, 5,000 मीटर, 3,900 मीटर और 46,000 मीटर रहे।

नॉन इलेक्ट्रिक डेटोनेटर का प्रयोग हुआ, जो कि क्लास 6 डिविजन-2 का रहा। यह 10990 की संख्या में रहे। पूरी प्रक्रिया में कुल 3,700 किग्रा विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ। दोनों टावरों में लगे विस्फोटकों को तारों से जोड़ा गया। इन तारों को ब्लैक बॉक्स से जोड़ा गया, जो कि 100 मीटर दूर रहा। इसके बाद कंट्रोल्ड ब्लास्ट किया गया। इस तकनीक की मदद से पहले सियान और उसके बाद एपेक्स टावर गिरा।twin-tower_1661408339.jpeg