बेटे और भाई की चाह में 'वीना' बन गई 'वीनस', चार माह से चल रहीं थीं दवाइयां, 8 घंटे चला ऑपरेशन

in #delhi2 years ago

मेडिकल के प्राचार्य डॉ आरसी गुप्ता ने बताया कि मेरठ सिटी में रहने वाले इस परिवार ने सहमति के बाद इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी की। एक साल पहले प्रशासन से अनुमति ली गई। इस परिवार में पांच लड़कियां थीं, इसलिए परिवार ने सबसे बड़ी बेटी को लड़का बनाने का निर्णय लिया। वह शुरू से रहती भी लड़कों की तरह ही थी। meerut-news_1587239670.jpeg
माता-पिता के लिए बेटे और चार बहनों की भाई की चाह पूरी करने के लिए 20 साल की लड़की ने एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में लिंग पुनर्निर्धारण के लिए सर्जरी कराई है। मेडिकल प्रबंधन ने कानूनी आधार पर उसका नाम और पता सार्वजनिक नहीं किया है, इसलिए इस खबर में उसका काल्पनिक नाम वीना और वीनस लिखे गए हैं।

मेडिकल के प्राचार्य डॉ आरसी गुप्ता ने बताया कि मेरठ सिटी में रहने वाले इस परिवार ने सहमति के बाद इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी की। एक साल पहले प्रशासन से अनुमति ली गई। इस परिवार में पांच लड़कियां थीं, इसलिए परिवार ने सबसे बड़ी बेटी को लड़का बनाने का निर्णय लिया। वह शुरू से रहती भी लड़कों की तरह ही थी।
इनका लक्ष्य परिवार में बेटे और भाई की कमी को पूरा करना है। हालांकि इससे संतानोत्पत्ति नहीं हो पाएगी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि लड़कियों में एक्सएक्स क्रोमोसोम होते हैं। इस लड़की में एक्सवाई क्रोमोसोम थे, जिस वजह से उसमें पुरुषों के लक्षण थे। उन्होंने दावा किया कि यह पश्चिम उप्र का पहला आपरेशन है। मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।

चार माह से चल रहीं थीं दवाइयां, 8 घंटे चला ऑपरेशन
सर्जरी करने वाले प्लास्टिक सर्जन डा. भानु प्रताप सिंह एवं डा. कनिका सिंगला ने बताया कि पिछले चार माह से लड़की की हार्मोनल दवाइयां और मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग चल रही थी। दवाइयों से मर्दों जैसी आवाज और दाढ़ी आएगी। यह दवाइयां बाद में भी खानी पड़ेंगी। सर्जरी के लिए सर्जन डा. सुधीर राठी और डा. धीरज राज समेत कई अन्य विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया। इसके बाद बाएं हाथ से मोटी खाल निकालकर आठ घंटे के आपरेशन के बाद पतली नसों को जोड़कर लिंग रोपण कर दिया गया।
40 हजार रुपये आया खर्च
मीडिया प्रभारी डॉ वीडी पांडेय ने बताया कि इस सर्जरी और इलाज में करीब 40 हजार रुपये का खर्च आया। निजी अस्पताल में यह सर्जरी कराने पर पांच से छह लाख रुपये खर्च आता है। मेडिकल के सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक के विशेषज्ञ चिकित्सकों की वजह से अब मरीजों को एम्स और पीजीआई नहीं जाना पड़ेगा।