18 घंटे, 20 डॉक्टरों की मेहनत और बन गया इतिहास, देश में पहली बार दो मरीजों का पूरा हाथ ट्रांसप्लांट

in #delhi2 years ago

इराकी नागरिक यूसुफ हसन को 2019 में बिजली का झटका लगा था। डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए दोनों हाथों को कोहनी से काटना पड़ा था। जुलाई में उनके दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किए गए। सरे- कर्नाटक के अमरेश (25) हैं। इन दोनों ने बिजली के करंट से अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे।
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: देश में पहली बार दो मरीजों के पूरे हाथ (फुल आर्म) का ट्रांसप्लांट हुआ है। केरल के कोच्चि में अमृता हॉस्पिटल ने यह इतिहास रचा है। जिन मरीजों में आर्म ट्रांसप्लांट किया गया है, उनमें एक- इराकी नागरिक यूसुफ हसन सईद अल जुवैनी (29) हैं। दूसरे- कर्नाटक के अमरेश (25) हैं। इन दोनों ने बिजली के करंट से अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। डॉ. सुब्रमण्यन अय्यर और डॉ. मोहित शर्मा की अगुआई में 20 सर्जन और 10 एनेस्थेटिस्ट्स की टीम ने ये सर्जरी कीं। दोनों मरीजों को 3 हफ्ते बाद अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। डॉ. अय्यर ने बताया कि दोनों हाथों को कंधे से जोड़ा जाना था। कुछ ब्लड वेसेल्स को जोड़ना कठिन था, लेकिन इसे ठीक कर लिया गया। दुनिया में सिर्फ तीन कंधे के स्तर के फुल आर्म ट्रांसप्लांटेशन हुए हैं। यह भारत में पहला है।
कर्नाटक के यादगीर में गुलबर्गा इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी के साथ काम करने वाले जूनियर पावर मैन अमरेश ने कुछ साल पहले एक बिजली दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए थे। इसके बाद, उन्होंने सितंबर 2018 में केरल नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे अंग प्राप्तकर्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया।
अमरेश को यह नया जीवन 54 वर्षीय विनोद के कारण मिल सका है। विनोद कोल्लम में एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे और जनवरी 2022 को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। विनोद का परिवार उनके हाथों सहित अन्य अंगों को दान करने के लिए तैयार हो गया।
डॉ सुब्रमण्यम अय्यर और डॉ मोहित शर्मा के नेतृत्व में 20 सर्जन और 10 एनेस्थेटिस्ट्स वाली टीम ने यह सर्जरी की। सर्जरी काफी मुश्किल थी और लगभग 18 घंटे मों पूरी हुई। अच्छी बात है कि सर्जरी सफल रही। अमृता अस्पताल के सेंटर फॉर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के प्रमुख डॉ अय्यर का कहना है कि दुनिया में केवल तीन कंधे के स्तर के पूर्ण-हाथ प्रत्यारोपण किए गए हैं, और यह भारत में पहला है।