500 साल बाद अगर राम जन्मभूमि वापस ला सकते हैं तो पाकिस्तान से 'सिंधु' क्यों नहीं?

in #delhi11 months ago

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि अगर पांच सौ वर्षों के बाद राम जन्मभूमि वापस ली जा सकती है, तो “कोई कारण नहीं कि हम 'सिंधु' (सिंध प्रांत) वापस न ले पाए।

रविवार को यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार यहां एक होटल में सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया (यूथ विंग) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सिंधी अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "500 वर्षों के बाद अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है. जनवरी में प्रधानमंत्री द्वारा रामलला अपने मंदिर में फिर से विराजमान किये जाएंगे।

उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा, "अगर राम जन्मभूमि के लिए कुछ किया जा सकता है. पांच सौ वर्षों के बाद राम जन्मभूमि वापस ली जा सकती है, तो कोई कारण नहीं कि हम सिंधु (सिंध प्रांत, जो अब पाकिस्तान में है) वापस न ले पाएं।

योगी ने जब यह उद्गार व्यक्त किया, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और काफी देर तक तालियां बजती रहीं और नारे लगते रहे।

आजादी मिलने के बाद बंटवारे की टीस बयां करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1947 जैसी त्रासदी (भारत-पाकिस्तान बंटवारा) फिर नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सिर्फ एक व्यक्ति की जिद की वजह से देश को विभाजन की त्रासदी से गुजरना पड़ा. उन्होंने कहा, "देश के बंटवारे की वजह से लाखों लोगों का कत्लेआम हुआ. भारत का एक बड़ा भू-भाग पाकिस्तान के रूप में चला गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि "सिंधी समाज ने उस दर्द को सबसे ज्यादा सहा है, उन्हें अपने मातृभूमि को छोड़ना पड़ा।

उन्होंने कहा, "आज भी आतंकवाद के रूप में हमें विभाजन की त्रासदी के दंश को झेलना पड़ता है. कोई भी सभ्य समाज आतंकवाद, उग्रवाद या किसी भी प्रकार की अराजकता को कभी मान्यता नहीं दे सकता. अगर मानवता के कल्याण के मार्ग पर हमें आगे बढ़ना है, तो समाज की दुष्प्रवृत्तियों को समाप्त करना होगा. हमारे धर्मग्रंथ भी हमें यही प्रेरणा देते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूज्य झूलेलाल जी (सिंधी समाज के आराध्य) हों या भगवान श्रीकृष्ण, सबने मानव कल्याण के लिए सज्जन के संरक्षण और दुर्जन को समाप्त करने की बात कही है. योगी ने कहा, " देश है तो धर्म है, धर्म है तो समाज है और समाज है, तो हम सभी का अस्तित्व है. हमारी प्राथमिकता इसी अनुरूप होनी चाहिए।