अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन भारत के लिए पहले भी साबित हो चुके हैं विलेन

in #delhi2 years ago

वॉशिंगटन: डेमोक्रेट जो बाइडने ने साल 2021 में जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद की शपथ ली थी तो भारत ने उनसे काफी उम्‍मीदें लगाई थीं। वहीं भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ बाइडेन के राष्‍ट्रपति बनने पर काफी आशंकित थे। दरअसल बाइडेन जिस समय सीनेटर थे, वह एक ऐसा फैसला कर चुके थे जिसकी भारत ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई। राष्‍ट्रपति बनने के बाद बाइडेन ने एक बार फिर अपना वही पुराना रंग भारत को दिखा दिया है। बाइडेन प्रशासन ने फैसला कर लिया है कि वह पाकिस्‍तान एयरफोर्स (PAF) के पास मौजूद फाइटर जेट एफ-16 को अपग्रेड करेगा। सिर्फ इतना नहीं पाकिस्‍तान को इसके लिए 450 मिलियन डॉलर की मदद भी दे दी गई है। अमेरिका जो खुद को भारत का 'सच्‍चा साथी' बताता है उसने एक बार फिर पीठ पर छुरा भोंका है

यह बात है साल 1992 की जब बाइडेन, डेलावेयर से डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर थे। अमेरिका में बतौर राष्‍ट्रपति रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज बुश सीनियर तमाम अहम फैसले ले रहे थे। सोवियत संघ का पतन हो चुका था और एक अलग देश के तौर पर रूस अपनी नई शुरुआत कर रहा था। इस नए देश की कमान राष्‍ट्र्रपति बोरिस येल्‍तसिन के हाथ में थी। दूसरी तरफ भारत में आर्थिक सुधारों का दौर शुरू हो चुका था।

जनवरी 1991 में भारत ने सोवियत संघ की अंतरिक्ष संस्‍था ग्‍लावकॉसमॉस के साथ 235 करोड़ रुपए की एक डील साइन की थी। इस डील के तहत भारत को सात क्रायोजेनिक इंजन मिलने थे। इसके अलावा ट्रांसफर ऑफ टेक्‍नोलॉजी पर भी बात बन गई थी। भारत को यह इंजन अपने जियोस्‍टेशनरी सैटेलाइट लॉन्‍च व्‍हीकल (GSLV) प्रोजेक्‍ट के लिए चाहिए थे।
भारत के सामने फ्रांस से भी इस इंजन का ऑफर था लेकिन वह ऑफर करीब 1000 करोड़ का था। ऐसे में भारत ने उसे ठुकरा दिया था। इस डील पर अमेरिका में खूब राजनीति हुई और इसकी अगुवाई कोई और नहीं बाइडेन कर रहे थे। रूस उन दिनों पश्चिमी देशों की दया पर निर्भर था। अमेरिका ने क्रायोजेनिक इंजन टेक्‍नोलॉजी की बिक्री का विरोध किया।

अमेरिका का कहना था कि यह डील सन् 1987 के मिसाइल टेक्‍नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम (MTCR) का उल्‍लंघन करती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना था कि क्रायोजेनिक इंजन अंतरिक्ष के रॉकेट के लिए हैं और बैलेस्टिक मिसाइल के लिए इनका कोई प्रयोग नहीं है। ऐसे में इस टेक्‍नोलॉजी का मिलिट्री यूज नहीं हो सकता है।