लोगों की सुविधा के मद्देनजर उत्तर पश्चिम जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई नई पहल नन्ही परी

in #delhi2 years ago (edited)

दिल्ली में आमजन को सहूलियत प्रदान करने के लिए शुरू की गई खास पहल. अब लोगों को अपनी बच्चियों के जरूरी दस्तावेजों के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. लोगों की सुविधा के मद्देनजर उत्तर पश्चिम जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई नई पहल नन्ही परी. सरकारी अस्पतालों में नन्ही परी पहल योजना के अंतर्गत पैदा होने वाली बच्चियों को मिलेगा 'गिफ्ट', जन्म प्रमाण पत्र, आधार और बैंक खाते के साथ भेजा जाएगा घर.

राजधानी दिल्ली में नन्ही परी के पंखों में उड़ान भरने के लिए सरकार द्वारा एक विशेष पहल की गई है. अक्सर देखा जाता है कि बच्चियों के जन्म के बाद जरूरी दस्तावेजों के लिए माता पिता को दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. सरकारी अस्पतालों में पैदा होने वाली इन्हीं समस्याओं को देखते हुए उत्तर पश्चिमी जिला प्रशासन द्वारा नन्ही परी के नाम से एक पहल शुरू की है. सरकारी अस्पतालों में नन्ही परी पहल योजना के अंतर्गत पैदा होने वाली बच्चियों को मिलेगा 'गिफ्ट', जन्म प्रमाण पत्र, आधार और बैंक खाते के साथ उनके घर भेजा जाएगा. शुक्रवार को उत्तर पश्चिम जिला की डीएम चेष्ठा यादव ने दिल्ली के मंगोलपुरी स्थित संजय गांधी अस्पताल से इसकी शुरुआत की गई. इस दौरान डीएम चेष्टा यादव ने कहा कि नन्ही परी पहल का उद्देश्य माता-पिता को एक ही बार में सारे जरूरी दस्तावेज प्रदान करना है जिससे उन्हें दस्तावेज प्राप्त करने के लिए विभिन्न कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें. चेष्टा यादव ने कहा कि बहुत सारे माता-पिता अपनी बच्ची का आधार और जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भागते हैं. हम दस्तावेज़ बनाने वाली तंत्र का विकेंद्रीकरण करना चाहते थे ताकि उन्हें किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े. DM ने यह भी उम्मीद जताई कि इस पहल से संस्थागत यानी अस्पतालों में प्रसव को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा, अगर अस्पताल से छुट्टी जल्दी हो जाती है, तो माता-पिता दस्तावेज लेने के लिए अस्पताल आ सकते हैं क्योंकि उनके रिकॉर्ड संभालकर रखे जाएंगे. इस मौके अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट ने भी इस पहल को लेकर अपनी खुशी जताई, और उम्मीद की है कि इससे लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी.

गौरतलब है कि संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के स्त्री रोग वार्ड के पास 'नन्ही परी' हेल्पडेस्क स्थापित किया है. हेल्प डेस्क में एमसीडी, बैंक और आधार इकाइयों के अधिकारी होंगे जो यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चियों के माता को अस्पताल से छुट्टी मिले तो उनके पास ये दस्तावेज हों. आपको बता दें कि जिला प्रशासन माता-पिता को एक स्मारिका भी उपहार में देगा, जिसमें बच्ची के पैरों के निशान और एक फोटो होगी. अब ऐसे में देखना होगा कि इस पहल के बाद कागजी कार्रवाई में आमजन को कितनी राहत मिलती है.

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