रुपये में कमजोरी से बढ़ेगी महंगाई, ईंधन की कीमतों पर पड़ सकता है असर

in #dearness2 years ago

n42604878416641204456112647608fad232c83d29b5d066897dbd2bb30756f8ac78a63c6b687cf40e7891a.jpg

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 81.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल और अन्य जिंसों का आयात महंगा हो जाएगा जिससे मुद्रास्फीति और बढ़ जाएगी.

मुद्रास्फीति पहले से ही आरबीआई के अधिकतम सुविधाजनक स्तर 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है.

अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बार-बार बढ़ाने से भारतीय रुपये पर बना दबाव व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी की निकासी की वजह से और बढ़ने की आशंका है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) इस सप्ताह के अंत में द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाली है. इसमें मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए वह रेपो दर में 0.50 फीसदी की वृद्धि का फैसला कर सकती है.

भारत अपनी 85 फीसदी तेल जरूरतों और 50 फीसदी गैस जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. ऐसी स्थिति में रुपये में कमजोरी का असर ईंधन की घरेलू कीमतों पर पड़ सकता है.

मिल मालिकों के संगठन सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता ने कहा कि इससे आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ जाएगी. इसका भार अंतत: उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.

अगस्त 2022 में वनस्पति तेल का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 41.55 फीसदी बढ़कर 1.89 अरब डॉलर रहा है. कच्चे तेल का आयात बढ़ने से भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुना से अधिक होकर 27.98 अरब डॉलर हो गया. इस वर्ष अगस्त में पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 87.44 फीसदी बढ़कर 17.7 अरब डॉलर हो गया.

इक्रा रेटिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा, ''जिंसों के दामों में कमी का मुद्रास्फीति पर जो अनुकूल असर पड़ना था वह रुपये में गिरावट की वजह से कुछ प्रभावित होगा.''

सीमित अवधि के लिए रूपये में गिरावट होने देगा RBI

एसबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोई भी केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा के अवमूल्यन को फिलहाल रोक नहीं सकता है और आरबीआई भी सीमित अवधि के लिए रूपये में गिरावट होने देगा. इमसें कहा गया, '' सच है कि जब मुद्रा एक निचले स्तर पर स्थिर हो जाती है तो फिर उसमें नाटकीय ढंग से तेजी आती है और भारत की मजबूत बुनियाद को देखते हुए एक संभावना है.'' रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट डॉलर की मजबूती की वजह से आई है, घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से नहीं.

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आई है. शुक्रवार (23 सितंबर) को रुपया 30 पैसे की गिरावट के साथ 81.09 रुपये प्रति डॉलर के अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ.

Sort:  

Post apki like kr diya sir
please like my post