संजय गहलोत पर भ्रष्टाचार के आरोप कहा आरोप बेबुनियाद ऐसा कोई मामला नहीं।

in #dcsk2 years ago

दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन संजय गहलोत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप हुए सिरे से खारिज।

स्टोरी... दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन संजय गहलोत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उन आरोपों पर संजय गहलोत ने चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि यह एक साजिश के तहत हुआ इस पूरे मामले में कोई शिकायत कर्ता ही नहीं है और ना ही कोई जांच की जा रही है. आपको बता दें कि संजय गहलोत के रिश्तेदार और दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग में काम करने वाली एक महिला कुसुम यादव पैसे के बदले नौकरी दिलवाने के आरोप लगे थे जिसमें एक व्यक्ति जिसका नाम विकास गहलोत बताया गया था लेकिन संजय गहलोत ने कहा कि विकास से मेरा कोई रिश्ता नहीं है।

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संजय गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार के एक भ्रष्ट अधिकारी की काली करतूत से दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के एक एमटीएस ,महिला कर्मचारी की नौकरी गई। दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव, दानिक्स अधिकारी ए वी प्रेमनाथ के भ्रष्ट आचरण और मनमाने रवैए को पूरा नहीं करने के कारण दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग में बतौर अस्थाई महिला कर्मचारी (एमटीएस ) कुसुम यादव की नौकरी चली गई!

बाइट - संजय गहलोत चेयरमैन दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग।
बाइट - कुसुम यादव पीड़ित महिला।

संजय गहलोत ने कहा कि ये वही प्रेमनाथ है, जिनके खिलाफ उत्तराखंड सरकार में जालसाजी और फर्जीवाड़े के कई मामले दर्ज हैं और कोर्ट ने इन्हें हाजिर होने के लिए पत्नी आशा यादव सहित सम्मन भेजा है! कुसुम ने दिल्लीसरकार,उपराज्यपाल, सी बी आई एवं अन्य सभी संस्थानों में इस बाबत अपनी शिकायत देते हुए कहा है कि दिल्ली सचिवालय में कार्यरत प्रेमनाथ ने उनका जमकर मानसिक शोषण किया है!

संजय गहलोत ने बताया कि ए वी प्रेमनाथ दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के बतौर सचिव भी तैनात हैं और इसी बिना पर कुसुम यादव एमटीएस के नाते सचिवालय में ए वी प्रेमनाथ के दफ्तर में काम करती थी! कुसुम यादव की एक गोद ली हुई, 12 वीं कक्षा मैं पढ़ रही बेटी की मां कुसुम ने अपनी शिकायत में कहा है कि ए वी प्रेमनाथ के शोषण और झांसे में आने के बाद हुई करतूत के कारण उसे जेल भी जाना पड़ा और जेल से आने के बाद प्रेमनाथ ने उसकी नौकरी समाप्त कर दी!

इस समय वह अपनी और अपने परिवार के गुजारे के लिए दर-दर की ठोकरे खा रही है! कुसुम ने पत्रकारों को बताया कि वह तो एक मोहरा भर है, जो प्रेमनाथ के शोषण का शिकार हुई है, असली काले कारनामे तो उत्तराखंड सरकार में दर्ज है जिसका जबाब इस दम्पति के पास नही है! इन दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है!

कई सम्मन भेजने के बाद भी वे कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे और माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड, नैनीताल के आदेशों की अवहेलना और बार-बार पत्र देने के बाद भी हाजिर नहीं होने के बाद, फिर एक बार इस बाबत कोर्ट ने प्रेमनाथ दंपत्ति के खिलाफ धारा 420, 468, 469, 471,120 बी, 153ए, 186 तथा 66 सी, 66 डी आरटी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत दंपत्ति को नैनीताल हल्द्वानी सतर्कता अधिकारी कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश जारी हुआ है!

ए वी प्रेमनाथ के काले चिट्ठे का खुलासा तब हुआ जब उत्तराखंड में पहाड़ी जमीन को एक गैर सरकारी संस्था के नाम पर औने पौने दामों में खरीदने और 'प्लीजेन्ट वेली फाउंडेशन मकचकली, दादाकड़ा, रानीखेत में एक स्कूल चला कर लोगों से रुपए हड़पने का काम शुरू किया! प्रेमनाथ की कहानी एक नटवरलाल सरीखे सोशल मीडिया में दर्ज और पब्लिक डोमेन में उसके काले कारनामों का चिटठा बदस्तूर जारी है!