गाजे-बाजे के साथ निकाला जुलूस, गणपति प्रतिमाएं विसर्जित

in #culture4 days ago

बांदा 15 सितंबर:(डेस्क)बांदा में गणेश महोत्सव का आठवां दिन शनिवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गाजे-बाजे के साथ आधा दर्जन से अधिक गणेश प्रतिमाओं का भव्य प्रदर्शन किया गया। श्रद्धालुओं ने इस दिन को विशेष बनाने के लिए उत्साहपूर्वक भाग लिया, जहां भक्तिभाव के साथ डीजे की धुन पर भक्ति भजन गाए गए और लोग थिरकते रहे।

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गणेश महोत्सव का महत्व
गणेश महोत्सव, जो कि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है, जो कि समृद्धि, सुख और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। इस महोत्सव के दौरान श्रद्धालु अपने घरों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करते हैं और दस दिनों तक उनकी पूजा करते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम
बांदा में आयोजित इस महोत्सव के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। स्थानीय कलाकारों ने नृत्य, संगीत और नाटक प्रस्तुत किए, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया। विशेषकर बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की।

श्रद्धालुओं का उत्साह
गणेश महोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर गणेश प्रतिमाओं के जुलूस में शामिल हुए। गाजे-बाजे के साथ चलने वाले इस जुलूस में श्रद्धालुओं ने भक्ति गीत गाए और नृत्य किया, जिससे वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन ने इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की थीं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल की तैनाती की गई थी, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। इसके अलावा, विद्युत विभाग ने भी सुनिश्चित किया कि बिजली की आपूर्ति सुचारू रूप से बनी रहे, ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो।

समापन समारोह
गणेश महोत्सव का समापन भी भव्य तरीके से किया गया। अंतिम दिन, श्रद्धालुओं ने गणेश प्रतिमाओं को जल में विसर्जित किया, जो कि इस महोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विसर्जन के समय श्रद्धालुओं ने "गणपति बप्पा मोरिया" के जयकारे लगाए, जिससे वातावरण में एक भावुकता और श्रद्धा का अनुभव हुआ।

निष्कर्ष
बांदा में गणेश महोत्सव का यह आठवां दिन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि का भी परिचायक था। इस महोत्सव ने लोगों को एकजुट किया और भक्ति, प्रेम, और सांस्कृतिक धरोहर को मनाने का अवसर प्रदान किया। आने वाले वर्षों में भी इस प्रकार के आयोजनों की उम्मीद की जाती है, जो समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देंगे।