मोहम्मद ज़ुबैर अपनी गिरफ़्तारी और उसके कारणों पर बोले
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर जेल से रिहा होकर वापस अपने घर, बेंगलुरु पहुँच गए हैं. अपने ख़िलाफ़ दर्ज कई एफ़आईआर के कारण दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 23 दिन तक जेल में और पुलिस कस्टडी में गुज़ारने के बाद वह घर लौट आए हैं.
उन्होंने अपनी गिरफ़्तारी और उसके बाद के घटनाक्रमों पर विस्तार से अंग्रेजी अख़बार द हिंदू से बात की है.
अपनी गिरफ़्तारी की वज़ह पर पूछे गए सवाल के जवाब में मोहम्मद ज़ुबैर ने कहा, ''मैं सच कहूँ तो मुझे अपने गिरफ़्तार होने का अनुमान पहले से था. ऑल्ट न्यूज़ में काम करते हुए मैं और प्रतीक सिन्हा हमेशा से ये जानते थे कि हमें कभी भी गिरफ़्तार किया जा सकता है. लेकिन जब मैंने टीवी डिबेट का बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का एक क्लिप पोस्ट किया, जो वायरल हो गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसे लेकर प्रतिक्रियाएं आने लगीं, तो मैं एकदम श्योर हो गया था कि मुझे गिरफ़्तार किया जा सकता है.''
मोहम्मद ज़ुबैर ने कहा, ''यह छिप-छिपाकर भी नहीं हुआ. ट्विटर पर बक़ायदा एक तूफ़ान खड़ा किया गया, मेरे ख़िलाफ़ हैशटैग चलाकर मेरी गिरफ़्तारी की मांग की गई. उस समय देश में जो कुछ हुआ, मुझे उसका दोषी ठहराते हुए ट्विटर पर पूरी मुहिम चलाई गई.''
पुलिस कस्टडी और जेल में रहने के दौरान ज़ुबैर क्या सोच रहे थे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''मैं कई पुलिस-फ़ोर्सेज के साथ था और जेल अधिकारियों ने मेरे साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार ही किया. लेकिन मेरे ख़िलाफ़ जो मामले वो दर्ज कर रहे थे, उसने मुझे डरा दिया था.''
''दिल्ली मामले में मुझे जब तिहाड़ जेल भेजा गया तो मुझे अपने लिए ज़मानत की उम्मीद थी लेकिन इसके महज़ एक सप्ताह बाद ही मेरे ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में सात एफआईआर दर्ज हो गईं और उनकी जांच के लिए एक एसआईटी भी गठित कर दी गई. यह जानते हुए कि उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी कैसे काम करती है, मैंने अपनी सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं.''
''मैं अपने को लंबे समय तक जेल में रहने के लिए तैयार कर रहा था. मुझे डर था कि मुझे किसी बड़े मामले में फंसाया जा रहा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला मेरे लिए बहुत मायने रखने वाला है. मुझे लगता है कि जो लोग भी सत्ता के निशाने पर हैं, उन लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करने के वाला यह एक ऐतिहासिक फ़ैसला है.''
ज़ुबैर को क्यों लगता है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है?
इसके जवाब में कहा, ''यह सरकार उनके ख़िलाफ़ असहमति रखने वाली सभी आवाज़ों को, फ़ैक्ट-चेकर्स को, पत्रकारों को चुप करा देना चाहती है. ख़ासतौर पर तब जब वे आपको अपने आलोचक के रूप में देखते हैं. मुझे विश्वास है कि मेरे धर्म का भी इसमें कोई छोटा रोल तो नहीं ही होगा. मुझे लगता है कि मुझे दूसरे के लिए एक उदाहरण बनाया गया है. संदेश साफ़ है कि सरकार अगर चाहे तो कई राज्यों में 10-15 रैंडम एफ़आईआर दर्ज कर सकती है और आपको सालों तक जेल में रख सकती है.''
''मेरे ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर इतनी बेतरतीब हैं कि क्या बताऊं. उत्तर प्रदेश में दर्ज दो एफ़आईआर एक मीडिया चैनल की रिपोर्ट के फ़ैक्ट-चेक करने के लिए दर्ज है,जो कि करना मेरा काम है. दूसरा एक अभियुक्त को नफ़रत फैलाने वाले भाषण के मामले में ट्वीट करके नफ़रत फैलाने वाला कहने के लिए.''