भारतीय युवकों को अमेरिका जाने का ख़्वाब दिखाकर इंडोनेशिया में बनाया जाता था बंदी
अभी ज़्यादा वक्त नहीं गुज़रा जब 35 साल के सुखजिंदर भी अपने जैसे लाखों नौजवानों की तरह अमेरिका जाकर बेहतर ज़िंदगी जीने का ख़्वाब देखते थे, लेकिन अब कोई अमेरिका का नाम भी ले तो वे सिहर उठते हैं.
बकौल सुखजिंदर, "अब तो मुझे अमेरिका के नाम से भी डर लगता है, अगर फिर भी कोई व्यक्ति मेरे सामने विदेश जाने की बात करता है, तो मेरा शरीर डर के मारे कांपना शुरू कर देता है, इसी चक्कर में मेरा सब कुछ तबाह हो गया है."
इस तबाही की वजह बना वो ज़रिया जो सुखजिंदर ने अमेरिका जाने के लिए चुना.
तरन तारन के रहने वाले सुखजिंदर का परिचय एक रिश्तेदार ने बाली में रहने वाले सनी कुमार नाम के युवक से करवाया. सुखजिंदर की मानें तो सनी कुमार ने उन्हें मैक्सिको के रास्ते अवैध तरीक़े से अमेरिका पहुंचाने का भरोसा दिलाया.
योजना थी कि सुखजिंदर को पहले बाली आना होगा और वहां से आगे का रास्ता तय होगा. पूरा सौदा 45 लाख रुपये में तय हुआ.