कागजी रेडियोलॉजिस्ट भरोसे हो रहा अल्ट्रासाउंड

in #crime2 months ago

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अमेठी सिटी। जिले के निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर मरीजों के साथ बड़ा खेल हो रहा है। फीस तो भारी-भरकम वसूली जा रही है, लेकिन रिपोर्ट सही आएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं।ऐसा इसलिए हो रहा है कि जिले के ज्यादातर निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों के पास विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट ही नहीं हैं। ऐसे केंद्रों के पास रेडियोलॉजिस्ट के नाम सिर्फ फाइलों में दर्ज हैं।धरातल पर अल्ट्रासाउंड के विशेषज्ञ ही नहीं हैं। इसकी तस्दीक केंद्र संचालकों के डिसप्ले बोर्ड से हो रही है। अधिकांश अल्ट्रासाउंड केंद्रों के डिस्प्ले बोर्ड पर न तो रेडियोलॉजिस्ट का नाम लिखा है और न ही उनकी फोटो लगी है। नियम यह है कि अल्ट्रासाउंड केंद्र पर वहां के रेडियोलॉजिस्ट का नाम व फोटो डिस्प्ले बोर्ड अंकित होना चाहिए।
मानक विहीन अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट भी संदिग्ध होती है। मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रही है। गाइड लाइन के अनुसार जिस विधा (बाल रोग, चेस्ट, गायनी आदि) का चिकित्सक हो वह संबधित मरीज का ही अल्ट्रासाउंड कर सकता है। यहां ये सारे नियम ताक पर हैं। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों का दावा है कि जिले में कुल 39 अल्ट्रासाउंड पंजीकृत हैं। सच्चाई इससे इतर है, सूत्रों का दावा है कि जिले में करीब 50 निजी अल्ट्रासाउंड संचालित हैं।

जिला अस्पताल में मिल रही लंबी तारीख

जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज को छोड़कर किसी भी सरकारी अस्पताल में मरीजों का अल्ट्रासाउंड संचालित नहीं है। जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मरीजों को लंबी डेट मिल रही है। जिसका फायदा उठाकर निजी अल्ट्रासाउंड संचालक मरीजों का शोषण कर रहे हैं। प्राइवेट में एक अल्ट्रासाउंड की कीमत 800 से एक हजार रुपए ले रहे हैं। इन केंद्रों में विशेषज्ञ नहीं होने से मरीजों का सही रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है।

कार्रवाई की जाएगी
एसीएमओ राम प्रसाद ने बताया कि जिले में सिर्फ 39 अल्ट्रासाउंड पंजीकृत हैं। रेडियोलॉजिस्ट के अलावा सोनोलॉजिस्ट और पीजी करने वाले संबंधित विधा के चिकित्सक ही अल्ट्रासाउंड कर सकते हैं। डिस्प्ले बोर्ड पर संबंधित का नाम फोटो होना चाहिए। बताया कि यदि बगैर पंजीयन व डिस्प्ले बोर्ड पर नाम व अन्य मानक नहीं पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।