CBI से बोल रहा हूं, तुम्हारे बेटे ने दुष्कर्म किया है...सेवानिवृत्त पेशकार ऐसे फंसे,

in #crimelast month (edited)

सेवानिवृत्त पेशकार जिसे सीबीआई अफसर समझ रहे थे, वो जालसाज निकला। सेवानिवृत्त पेशकार से आरोपी ने चार लाख रुपये खातों में जमा करा लिए। हकीकत सामने आई तो सेवानिवृत्त पेशकार के होश उड़ गए।

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Image credit :- amar ujala

साइबर अपराधियों ने एक सेवानिवृत्त पेशकार को ठगने के लिए सीबीआई अधिकारी बनकर संपर्क किया। उन्होंने दुष्कर्म के मामले में बेटे की गिरफ्तारी का झांसा देकर चार लाख रुपये की ठगी की। कॉल के दौरान आरोपियों ने बेटे की आवाज सुनाकर परिवार को दहशत में डाल दिया, जिसमें वह रोते हुए मदद मांग रहा था।

परिवार ने डर के मारे चार बार में पैसे खातों में जमा कराए। जब बेटे ने बाद में बताया कि उसे कोई परेशानी नहीं है, तब ठगी का पता चला। साइबर सेल ने चार महीने में जांच पूरी की, लेकिन पुलिस ने पहले मुकदमा नहीं लिखा, जिससे आरोपी अब तक बच गए हैं.

साइबर सेल की लापरवाही के कई संभावित कारण हो सकते हैं:
विशेषज्ञों की कमी: पुलिस विभाग में साइबर अपराधों की जांच के लिए विशेषज्ञों की कमी है, जिससे मामलों की प्रभावी जांच में बाधा आती है.

• प्रशिक्षण का अभाव: पुलिस कर्मियों को साइबर अपराधों से संबंधित नवीनतम तकनीकों और तरीकों पर पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिलता, जिससे वे मामले को सही तरीके से समझ नहीं पाते.
• प्रशासनिक देरी: साइबर सेल की रिपोर्ट का इंतजार करने की प्रक्रिया में समय बर्बाद होता है, जिससे मामले की तात्कालिकता कम हो जाती है और ठग बच निकलते हैं.
• संवेदनशीलता की कमी: साइबर अपराधों की गंभीरता को समझने में कमी और इनकी जांच के प्रति लापरवाह दृष्टिकोण भी लापरवाही का एक कारण हो सकता है.

इन कारणों के चलते साइबर अपराधों की रोकथाम और पीड़ितों को न्याय दिलाने में कठिनाई होती है।