COVID-19 की mRNA के वैक्सीन को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है ,

in #covid-192 years ago

इस टीके का इस्तेमाल से बढ रहा कार्डियक अरेस्ट का खतरा...?

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भारत का कोरोना महामारी के खिलाफ़ टीकाकरण अभियान काफ़ी हद तक सफ़ल रहा है लेकिन कुछ कमियां भी रह गई हैं।प्रशासनिक आंकड़ों की तरह, राज्यों में भी टीकाकरण की दर में काफ़ी अंतराल दिखाई देता है। राष्ट्रीय स्तर पर, परिवार में कम से कम एक सदस्य के टीकाकरण वाले 96 फीसदी परिवारों ने ये बताया कि ये टीका पूरी तरह नि:शुल्क था जिसमे हम सब ने बढ़ चढ़ के हिंसा लिया , जिससे हमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावशीलता का पता चलता है।

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कोरोना महामारी के खिलाफ़ भारत ने बेहद कम समय में अपना टीकाकरण अभियान चलाते हुए सफ़लता हासिल की है। लेकिन अगले सौ करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए ज़रूरी है कि जनसंख्या के सबसे वंचित हिस्सों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो। टीकाकरण की राह में इस तबके सामने सबसे बड़ी बाधाएं हैं: अशिक्षा, जागरूकता की कमी, भौगोलिक दूरी, परिवहन की असुविधा। टीकाकरण अभियान से जुड़े इस सबसे आखिरी चरण पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि महामारी के ख़ात्मे की ओर हम एक और कदम बढ़ा सकें।

डॉक्टरों ने दावा किया है कि इस टीके का इस्तेमाल हृदय संबंधी मौत के जोखिम को काफी बढ़ा देता है. विशेष रूप से 18 से 39 वर्ष की आयु के पुरुषों में यह खतरा अधिक हो जाता है. एक्सपर्ट ने इसके खतरों पर बात करते हुए सलाह दी है कि दिल से संबंधित कुछ बीमारियों वाले लोगों को इस टीके को लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए.
आज हमने COVID-19 mRNA टीकों पर एक एनालिसिस रिलीज किया जिसके बारे में जनता को जागरूक होने की जरूरत है. इस एनालिसिस ने 18-39 पुरुषों में हृदय संबंधी मृत्यु का जोखिम बढ़ा हुआ दिखाया है. फ्लोरिडा स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक सेल्फ कंट्रोल्ड केस सीरीज के माध्यम से एनालिसिस किया था, जो मूल रूप से वैक्सीन सेफ्टी का मूल्यांकन करने के लिए विकसित एक तकनीक है. अध्ययन में पाया गया कि mRNA वैक्सीनेशन के बाद 28 दिनों के अंदर 18-39 वर्ष की आयु के पुरुषों में हृदय संबंधी मृत्यु की घटनाओं में 84% की तेज वृद्धि दर्ज हुई.
कोरोना महामारी के खिलाफ़ भारत ने बेहद कम समय में अपना टीकाकरण अभियान चलाते हुए सफ़लता हासिल की है। लेकिन अगले सौ करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए ज़रूरी है कि जनसंख्या के सबसे वंचित हिस्सों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो। टीकाकरण की राह में इस तबके सामने सबसे बड़ी बाधाएं हैं: अशिक्षा, जागरूकता की कमी, भौगोलिक दूरी, परिवहन की असुविधा। टीकाकरण अभियान से जुड़े इस सबसे आखिरी चरण पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि महामारी के ख़ात्मे की ओर हम एक और कदम बढ़ा सकें।

डॉक्टरों ने दावा किया है कि इस टीके का इस्तेमाल हृदय संबंधी मौत के जोखिम को काफी बढ़ा देता है. विशेष रूप से 18 से 39 वर्ष की आयु के पुरुषों में यह खतरा अधिक हो जाता है. एक्सपर्ट ने इसके खतरों पर बात करते हुए सलाह दी है कि दिल से संबंधित कुछ बीमारियों वाले लोगों को इस टीके को लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए.
आज हमने COVID-19 mRNA टीकों पर एक एनालिसिस रिलीज किया जिसके बारे में जनता को जागरूक होने की जरूरत है. इस एनालिसिस ने 18-39 पुरुषों में हृदय संबंधी मृत्यु का जोखिम बढ़ा हुआ दिखाया है. फ्लोरिडा स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक सेल्फ कंट्रोल्ड केस सीरीज के माध्यम से एनालिसिस किया था, जो मूल रूप से वैक्सीन सेफ्टी का मूल्यांकन करने के लिए विकसित एक तकनीक है. अध्ययन में पाया गया कि mRNA वैक्सीनेशन के बाद 28 दिनों के अंदर 18-39 वर्ष की आयु के पुरुषों में हृदय संबंधी मृत्यु की घटनाओं में 84% की तेज वृद्धि दर्ज हुई.

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मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस जैसी पहले से मौजूद दिल की बीमारी वाले मरीजों को इस टीकाकरण पर विचार करते समय अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए और अपने डॉक्टर से एक बार परामर्श जरूर करना चाहिए. रिसर्च में जो खतरा इस टीके को लेकर पाया गया, वो किसी और वैक्सीन में नहीं मिला. वैक्सीन समेत किसी भी दवा की सुरक्षा और उसके प्रभाव का अध्ययन सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन इस वैक्सीन में सुरक्षा पर बहुत कम ध्यान दिया गया है. महामारी के ख़ात्मे की ओर हम एक और कदम बढ़ा सकें।