हर घर तिरंगा अभियान से राष्ट्रप्रेम और अर्थव्यवस्था दोनों को हुआ फायदा

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को फ्लैग कोड में संशोधन कर राष्ट्रीय ध्वज को घरों पर लगाने के नियम आसान कर दिए हैं जिसके अनुसार अब लोग अपने घरों में दिन रात राष्ट्रीय ध्वज लगा सकते हैं.इसके साथ ही केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा 20"x 30", 16"x 24", 6"x9" के साइज के झंडे बनाने के सुझाव दिए गए हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी के कामकाज का अगर सूक्ष्म बारीक विश्लेषण किया जाए तो हम पाते हैं कि उनके एक कदम से कई क्षेत्रों में और लोगों को फायदा होता है. आजादी के अमृत महोत्सव के द्वारा चलाए जा रहे तिरंगा यात्रा और हर घर तिरंगा अभियान को भी इसी तौर पर देखा जा सकता है. इस अभियान से जहां देशभर में लोगों के मन में देश प्रेम की अलख जगी, आजादी के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने और याद करने पर, उनके विचारों पर चर्चा करने देश को मजबूती से जुड़ने का मौका मिला वही इससे आर्थिक व्यवस्था को भी सकारात्मक रूप से फायदा हुआ.
फ्लैग कोड में किया गया परिवर्तन
केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को फ्लैग कोड में संशोधन कर राष्ट्रीय ध्वज को घरों पर लगाने के नियम आसान कर दिए हैं जिसके अनुसार अब लोग अपने घरों में दिन रात राष्ट्रीय ध्वज लगा सकते हैं.इसके साथ ही केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा 20″x 30″, 16″x 24″, 6″x9″ के साइज के झंडे बनाने के सुझाव दिए गए हैं.

लगभग ढाई सौ करोड़ का हुआ व्यापार
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार 22 जुलाई को जब पीएम नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान लांच किया था उस वक्त लगभग देश में चार करोड़ तिरंगा उपलब्ध थे. 20 से 25 करोड़ तिरंगा की मांग को पूरा करने के लिए दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिसा, बिहार, राजस्थान आदि के कपड़ा व्यापारियों ने अथक मेहनत की और इस लक्ष्य को हासिल कर लियातिरंगा के निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना का हाल में जिस तरह युद्ध स्तर पर पीपीई किट का निर्माण किया गया उसी तरह झंडे के निर्माण में भी काफी समर्पण दिखाया गया. इससे जुड़े व्यापारियों का कहना है कि इस काम में मुनाफा का ना के बराबर ध्यान रखा गया. हालांकि वे मानते हैं कि इससे देशभर में 5 लाख से 10 लाख लोगों को रोजगार मिला. इसके साथ ही साथ वे यह भी मानते हैं कि इससे सड़क के किनारे फुटकर विक्रेताओं को काफी फायदा मिला. प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि इस अभियान के तहत लगभग ढाई सौ करोड़ का व्यापार हुआ.
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