"अशांति की चिंगारी सुलगती रही: शांति समिति की बैठकों में भी अफसर नहीं समझ पाए माहौल;
बरेली 17 सितम्बरः(डेस्क)बरेली के संवेदनशील जोगी नवादा मोहल्ले में अशांति की चिंगारी सुलगती रही, लेकिन पुलिस इसे भांपने में नाकाम रही। शांति समिति की बैठकों के नाम पर केवल रस्म अदायगी की जाती रही, जिससे लोगों के दिलों में भरे गुबार का आकलन खुफिया तंत्र भी नहीं कर सका। यहां मामूली चिंगारी से ही माहौल भड़क सकता था, लेकिन गनीमत रही कि बवाल टल गया।
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चार दिन पहले बारादरी थाने में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में अंजुमन जुलूस के आयोजकों के साथ-साथ दोनों पक्षों के संभ्रांत लोगों को बुलाया गया था। बैठक में दोनों ओर से सहयोग का आश्वासन दिया गया, लेकिन पुलिस माहौल को सही तरीके से नहीं समझ पाई। इसका नतीजा रविवार को हंगामे के रूप में देखने को मिला, जब दोनों पक्षों के लोग नारेबाजी करते हुए पुलिस-प्रशासन पर कटाक्ष करने लगे।
हंगामा बढ़ने पर पुलिस को लोगों की धक्कामुक्की का सामना करना पड़ा और उन्हें पानी की बौछार भी झेलनी पड़ी। हालांकि, बल प्रयोग से पुलिस बचती रही। सुबह तक लोगों का गुस्सा और जोश ठंडा पड़ गया और वे अपने-अपने घरों को लौट गए।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि शांति समिति की बैठकें केवल औपचारिकता बनकर रह गई हैं और उन पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वे स्थानीय लोगों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करें और उनकी चिंताओं को समझें। इसके लिए एक प्रभावी खुफिया तंत्र की आवश्यकता है जो न केवल मौजूदा स्थिति का आकलन कर सके, बल्कि भविष्य में संभावित तनाव को भी पहचान सके।
इस प्रकार की घटनाएं समाज में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देती हैं और नागरिकों के बीच विश्वास की कमी पैदा करती हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस समस्या का समाधान खोजे और स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर काम करे ताकि ऐसे हालात दोबारा न बनें।