किसान खाद के लिए भटक रहे, 10 समितियों पर ताले

अमेठी 12 सितम्बरः (डेस्क)सिंहपुर (अमेठी) में क्षेत्र की 10 बहुउद्देशीय साधन सहकारी समितियों के सचिवों ने सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। इस हड़ताल के कारण समितियों पर ताले लटक गए हैं, जिससे किसानों को यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है।

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हड़ताल का कारण
सहकारी समिति के तहसील अध्यक्ष रवि शंकर द्विवेदी ने बताया कि सिंहपुर की सभी 10 समितियां, जैसे कि इन्हौना, कोटवा, टेढ़ई, कुकहा रामपुर, सातनपुरवा, गड़ेहरी, धीरापुर पन्हौना, फूला, मत्तेपुर, और राजापुर, अभी भी अमेठी जिले के बजाय रायबरेली से संबद्ध हैं। पहले इन समितियों को बैंक से 20 लाख तक का उर्वरक मंगवाने की अनुमति थी, लेकिन हाल ही में बैंक ने मनमाने तरीके से इस लिमिट को घटाकर 10 लाख कर दिया है।

किसानों पर प्रभाव
इस बदलाव का सीधा असर किसानों पर पड़ा है। एक ट्रक डीएपी और एक ट्रक यूरिया मंगवाने पर ही समिति का पूरा बजट खत्म हो जाता है। इसके बाद खाद मंगवाने में महीनों का समय लग सकता है। इसके अलावा, बैंक ने समिति के स्टेशनरी खर्च की लिमिट भी कम कर दी है, जिससे सचिवों को कार्य करने में और कठिनाई हो रही है।

सचिवों की मांगें

हड़ताल के दौरान सचिवों ने कई मांगें उठाई हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

लिमिट बढ़ाने की मांग: सचिवों का कहना है कि खाद की बढ़ती मांग के मद्देनजर, बैंक द्वारा दी गई लिमिट को फिर से 20 लाख किया जाए।

स्टेशनरी खर्च की लिमिट: सचिवों ने स्टेशनरी खर्च की लिमिट को भी पूर्ववत करने की मांग की है।

सहकारी समितियों का पुनः संबद्ध होना: सचिवों का यह भी कहना है कि समितियों को अमेठी जिले से संबद्ध किया जाए, जिससे उन्हें स्थानीय स्तर पर अधिक सुविधा हो सके।

हड़ताल का असर
सचिवों की हड़ताल से सहकारी समितियों का कामकाज ठप हो गया है। किसानों को खाद के लिए अन्य स्थानों पर जाना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है।

निष्कर्ष
सिंहपुर की सहकारी समितियों के सचिवों की हड़ताल से न केवल समितियों का कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि किसानों को भी खाद के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि सचिवों की मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

इस प्रकार, यह हड़ताल स्थानीय कृषि व्यवस्था पर गहरा असर डाल रही है, और इसके समाधान की आवश्यकता है ताकि किसानों को समय पर खाद मिल सके और उनकी फसलें सुरक्षित रह सकें।