कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत, मचा बवाल...

in #children2 years ago

हरियाणा के सोनीपत में तैयार हुआ था कफ सिरप..
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी कंपनी को चेतावनी...
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**भारत के विभिन्न प्रांतों में बिकने वाले कफ सिरप से भी लोगों को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। मौत का यह कफ सिरप कब किसकी जान ले ले, यह कहा नहीं जा सकता। एक नया मामला अफ्रीकी देश गाम्बिया में कफ सिरप पीने से करीब 66 बच्चों की मौत का सामने आया है। इन तमाम मौतों को भारत में बने एक कफ सीरप से जोड़कर देखा जा रहा है। जिसे लेकर बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी भी जारी की है।
बता दें किecfe1986499573c85ec35dfd163a8f9e1b5b1cdae3d8a323f071be01e91a60c3.0.JPG इस कफ सिरप को हरियाणा के सोनीपत में स्थित मेसर्स मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने बनाया है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब इस कंपनी की दवाओं पर सवाल उठे हों। इस साल अब तक कंपनी की चार अन्य दवाएं भी मानकता पर खरी नहीं उतर पाईं।
हालांकि सरकार और कंपनी की तरफ से साफ किया गया है कि जिन कफ सिरप को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उन्हें सिर्फ एक्सपोर्ट के लिए ही मैन्युफैक्चर किया जाता था. भारत में ये कफ सिरप नहीं बिकते थे. जिन दवाओं पर सवाल उठ रहे हैं, उनमें- Kofexmalin Baby Cough Syrup, Makoff Baby Cough Syrup और Magrip N Cold Syrup शामिल हैं।
स्क्रोल डॉट इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात साल में इस फार्मा कंपनी की करीब 6 दवाएं ऐसी थीं, जो गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतर पाईं. जिनमें से चार इसी साल बनाई गई थीं. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के डेटा के हवाले से ये बात कही गई है।
मेसर्स मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की तरफ से हाई ब्लड शुगर के लिए तैयार की गई दवा मेटोमिन इस साल टेस्ट में फेल हुई थी. इस दवा के दो बैच इस साल और एक तीसरा बैच पिछले साल टेस्ट में फेल हुआ था. ये टेस्ट सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम था।
इसी तरह इस साल मार्च में इस कंपनी की माइसल-डी टैबलेट भी अपना गुणवत्ता टेस्ट पास नहीं पाई थी. इसका इस्तेमाल विटामिन-डी और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाना था. इन टैबलेट्स को भी हरियाणा के सोनीपत यूनिट में तैयार किया गया था. इसके अलावा जून में इसी कंपनी की एस्प्रिन 75mg भी अपना लेबोरेट्री टेस्ट पूरी तरह पास नहीं कर पाई थी. इस दवा का इस्तेमाल खून को पतला करने के लिए किया जाता है।
इससे पहले दिसंबर 2015 में वडोदरा, गुजरात में स्थित फूड एंड ड्रग लेबोरेटरी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि मेसर्स मेडेन की Macirpo 250 टैबलेट अपने डिजॉल्यूशन टेस्ट में पास नहीं हो पाई है. इस दवा का इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने के लिए किया जाता है. ऐसे ही कंपनी की बाकी दवाओं को लेकर भी सवाल उठे थे।
स्क्रोल की इस रिपोर्ट में ड्रग मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े जानकारों के हवाले से बताया गया है कि हर बार गलती करने के बावजूद इस कंपनी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई. उनके मुताबिक ड्रग कंट्रोलर को ऐसे मामलों में तुरंत एक्शन लेना चाहिए और मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए. तमाम जानकार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मौजूदा मामले में कफ सिरप्स के जो सैंपल लिए गए हैं, उनकी टेस्टिंग का नतीजा क्या आता है. अगर कंपनी गाम्बिया में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार पाई जाती है तो ये एक बड़ी लापरवाही होगी।Screenshot_20221008_074336.jpg