लाड़ो अभियान के अंतर्गत बाल विवाह रोकने में सहयोग का अनुरोध:-छिंदवाड़ा

in #chhindwara2 years ago

कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन द्वारा देवउठनी ग्यारस और अन्य अवसरों पर होने वाले विवाहों के आयोजनों में बाल विवाह की रोकथाम के लिये महिला एवं बाल विकास विभाग के लाडो अभियान के अंतर्गत जिले के सामूहिक विवाह कराने वाले आयोजकों, सभी धर्मगुरू, समाज के मुखिया, हलवाई, केटरर, बैंडवाला, घोड़ीवाला, ट्रांसपोर्टर, प्रिंटिंग प्रेस के प्रबंधक, ब्यूटी पार्लर, संचालक मंगल भवन और अन्य संबंधितों से अनुरोध किया है कि वे किसी विवाह या समारोह में शामिल होने से पहले यह अवश्य देख लें कि कहीं वह बाल विवाह तो नहीं है। यदि बाल विवाह हो तो इसे रोकने में शासन को सहयोग प्रदान करें। उन्होंने सभी विभागों को भी इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ने बताया कि देवउठनी ग्यारस के बाद बड़ी संख्या में विवाह होना शुरू हो जाते हैं और इन तिथियों में बसंत पंचमी व अक्षय तृतीया भी हैं जिनमें प्राय: बड़ी संख्या में वयस्क/अवयस्क जोड़ों के विवाह हो जाते हैं । ऐसे विवाह या तो पारिवारिक आयोजनों में अथवा जातीय संगठनों में किये जाने वाले समारोह में होते हैं । उन्होंने कहा है कि बाल विवाह रोकना या इसे हतोत्साहित करना हर समझदार और कानूनप्रिय व्यक्ति की जिम्मेदारी है, इसलिये यह अवश्य सोचें कि कहीं आप 18 वर्ष से कम उम्र की लाड़ली बिटिया का विवाह करके उसकी जिंदगी अनजाने जोखिम में डालने तो नहीं जा रहे हैं । उन्होंने बताया कि भारत के राजपत्र में 11 जनवरी 2007 को प्रकाशित बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 जो एक नवंबर 2007 से लागू किया गया है, इस अधिनियम में दण्ड प्रावधान के अंतर्गत बालिका की आयु 18 वर्ष और बालक की आयु 21 वर्ष से कम नहीं होना चाहिये। इस अधिनियम से संबंधित प्रकरण की सुनवाई के लिये जिला न्यायालय सक्षम न्यायालय है तथा बाल विवाह किये जाने पर 2 वर्ष के कारवास, एक लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के अंतर्गत दोषियों में लड़के और लड़की के अभिभावक, माता-पिता, पादरी, पुजारी, मौलवी, दोनों तरफ के रिश्तेदार व परिचित, दोनों पक्षों के पड़ोसी, समुदाय के ऐसे मुखिया जो इस तरह के विवाहों को संरक्षण देते हैं, मैरिज ब्यूरो, शादियां कराने वाले बिचौलिये, मानव व्यापारी, दूल्हा अगर उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो और लड़की नाबालिग हो, केटर्स, घोड़ी वाला, टेंट वाला, हलवाई, बैंड वाला, ब्यूटी पार्लर, मैरिज हॉल वाले, ट्रांसपोर्ट वाले, प्रिंटिंग प्रेस के ऐसे मालिक/प्रबंधक जिन्होंने मुद्रित विवाह पत्रिका में यह स्पष्ट उल्लेख नहीं किया है कि वर-वधू बालिग हैं, ऐसे संगठन या समूह के सदस्य जो सब कुछ जानते हुये भी बाल विवाह को प्रोत्साहित करते हैं, स्वीकृति देते हैं या उसमें हिस्सा लेते हैं और उसे रोकने में विफल हैं, अन्य सेवा प्रदाता को भी शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि बाल विवाह की सूचना पाये जाने पर निकटतम थाने अथवा ग्राम की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सूचना दें। उन्होंने जनसमान्य से अपील की है कि बाल विवाह नहीं करने, न ही बाल विवाह में शामिल होने और दहेज नहीं लेने व नहीं देने की शपथ भी लें ।

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