Chandrayaan-3: सुनहरी परत से क्यों लपेटे गए थे चंद्रयान-1, 2 और चंद्रयान-3, क्‍या होता है एमएलआई

Golden layer on Chandrayaan - चंद्रयान-3 ने 23 अगस्‍त 2023 को चांद के दक्षिणी हिस्‍से में सफलतापूर्वक लैंड कर इतिहास रच दिया. आपने चंद्रयान की तस्‍वीरों में देखा होगा कि उसका बाहरी हिस्‍सा सुनहरी परत से लिपटा हुआ रहता है. क्‍या आप जानते हैं कि ये सुनहरी परत किस धातु की बनी होती है? उसे सिल्‍वर या किसी दूसरे रंग की परत क्‍यों नहीं लगाई जाती है?

![Chandrayaan-3-At-Moon-South-Pole.webp](https://images.wortheum.news/DQmNcVT5yP23kywP9dqW5HVhuYDE4imSt8YPE8ciumBKffL/Chandrayaan-3-At-MooGolden layer on Chandrayaan-3: भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी हिस्‍से में 23 अगस्त 2023 को लैंड करने में सफल हो गया. इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण किया. अगर आपने लैंडिंग के दौरान और पहले चंद्रयान-3 की तस्‍वीरों को देखा होगा तो नोटिस किया होगा कि उसके चारों ओर एक सुनहरी परत लिपटी हुई है. ये सुनहरी परत चंद्रयान-1 और 2 पर भी मौजूद थी. क्‍या आपने सोचा कि ये सुनहरी परत किस धातु की है? चंद्रयान पर इस सुनहरी परत को क्‍यों लपेटा जाता है. अगर ये ना हो तो क्‍या होगा?
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मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेश अरविंद पराजंपे ने बीबीसी की रिपोर्ट में बताया है कि चंद्रयान के चारों ओर दिखाई देने वाला गोल्डन फॉइल पेपर जैसी परत सोना या काग़ज की नहीं होती है. इस सुनहरी परत को मल्टीलेयर इंसुलेशन यानी एमएलआई कहा जाता है. उन्‍होंने बताया कि मानव निर्मित सैटेलाइट पर बहुत ही कम वजन वाली फिल्म की कई परतें लगाई जाती हैं.

इसमें बाहर की तरफ सुनहरी और अंदर की तरफ सफेद या सिल्वर कलर की फिल्म होती हैं. ये फिल्‍म पॉलिएस्टर से बनाई जाती हैं. इन फिल्मों पर एल्यूमीनियम की पतली परत की लेप भी लगाई जाती है. पॉलिएस्टर की एक फिल्म और उस पर एल्यूमीनियम की एक परत से एक शीट बनती है.
सुनहरी परत का क्‍या है असली काम?
पराजंपे के मुताबिक, ये शीट पूरे यान में नहीं लगाई जाती है. इसे अंतरिक्ष यान के उन महत्वपूर्ण हिस्‍सों पर लगाया जाता है, जो विकिरण से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. सैटेलाइट या अंतरिक्ष यान के अभियान के मुताबिक ये तय किया जाता है कि शीट्स का कितना और कैसे उपयोग करना है. अब सवाल उठता है कि इस सुनहरी परत का काम क्‍या है?
अंतरिक्ष की धूल से भी सुरक्षा
सुनहरे रंग की ये परत सीधे सूर्य की रोशनी से सौर विकिरण और पराबैंगनी किरणों को अंतरिक्ष में परावर्तित करती हैं. आसान शब्‍दों में कहें तो ये सुनहरी परत ही सौर विकिरण और अल्‍ट्रावॉयलेट रेज को वापस अंतरिक्ष की ओर मोड़ देती हैं. इससे यान को कोई खतरा नहीं रहता है. नासा के मुताबिक़, एमएलआई शीट अंतरिक्ष यान को सौर विकिरण और गर्मी ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष की धूल से भी बचाती हैं. इस धूल से अंतरिक्ष यान के उपकरणों के सेंसर्स को नुकसान पहुंच सकता है. ये धूल उपकरणों द्वारा रिकॉर्ड किए जा रहे निगरानी और रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया को भी बाधित कर सकती है.