।।जाको राखे साइयां, मार सके न कोय।। : अथक प्रयास और कड़ी मशक्कत के 105 घंटों.....

।।जाको राखे साइयां, मार सके न कोय।। : अथक प्रयास और कड़ी मशक्कत के 105 घंटोंIMG-20220615-WA0017.jpg के रेस्क्यु ऑपरेशन के बाद आखिर "राहुल साहु" को काल के गाल से निकाल लिया गया..।


जिला प्रशासन के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम और सुरक्षा टीम की सूझबूझ काम आई...


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर रहे थे इस पूरी घटना की मॉनिटरिंग


देश के कई हिस्सों में और भी हो चुकी है बोरवेल में बच्चों के गिरने जैसी घटनाए..


छत्तीसगढ़/जांजगीर-चांपा(wortheum news) जिंदगी बचाने के लिए किया गया रेस्क्यू ऑपरेशन वाकई में सबसे बड़ा ऑपरेशन होता है। कहते है जब ईश्वर की आपार कृपा हो तो पुरी कायनात भी मदद करने में लग जाती है । कुछ इसी तरह का तथ्य "राहुल साहु" को खतरे के मुंह से निकालने के लिए की जा रही रेस्क्यु में देखी गई । जिसे छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा रेस्क्यु आपरेशन माना जाएगा ।105 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बोरवेल में फंसे राहुल को सेना के जवानों की मदद से आखिरकार बाहर निकाल लिया गया है।फिर तत्काल स्ट्रेचर लेकर टनल में पहुंची मेड़िकल टीम, और सुरंग के मुहाने पर प्राथमिक उपचार दिया गया ।
तत्पश्चात् राहुल की मां को एंबुलेंस में बैठाया गया रेस्क्यू टीम बारिकी से मेडिकल ट्रिटमेंट एवं सुक्ष्म जांच हेतु राहुल को तत्काल अपोलो अस्पताल रात्रि में ही ले कर चली गई ।
इस पूरी घटना की मॉनिटरिंग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं कर रहे थे। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 500 अधिकारी कर्मचारियों की टीम 5 दिनों तक लगी हुई थी। छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के पिहरिद गांव में बोरवेल में गिरा राहुल को आखिरकार 105 घंटे बाद बाहर निकाल लिया गया ।

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे हुए राहुल को 105 घंटे बाद आखिरकार कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाल लिया गया।राहुल पिछले 5 दिनों से बोरवेल के गड्ढे में फंसा हुआ था ।
राहुल को निकालने के लिए इस रेस्क्यु ऑपरेशन में करीबन 500 अधिकारी-कर्मचारी दिन रात लगे हुए थे राहुल को रेस्क्यू टीम से निकाल कर बिलासपुर अपोलो अस्पताल ले जाया गया है

छत्तीसगढ़ सी.एम.ओ. ने अपने एक ट्वीट में बताया था कि चट्टानों को हटाने के बाद अब बचाव दल बोरवेल तक पहुंच गया है और राहुल नजर आने लगा है पिछले 4 दिन से बचाव अभियान जारी रहा। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना और पुलिस कर्मियों सहित बचाव दल बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर गड्ढे से सुरंग बनाई थी।
एनडीआरएफ ,सेना ,स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित पांच सौ से अधिक कर्मी शुक्रवार शाम से व्यापाक बचाओ अभियान में जुटे हुए थे राहुल साहू शुक्रवार दोपहर करीबन 2:00 बजे मालखरोदा विकासखंड के पीहरिद गांव में अपने घर के पीछे में 68 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था .

छत्तीसगढ़ सीएमओ की ओर से कुछ देर पहले जारी एक ट्वीट में बताया गया कि "अंततः राहुल ने आंखें खोली बचाव दल को देखकर राहुल ने प्रसन्नता जाहिर की और अपनी आंखें खोल ली है इस ऑपरेशन में एक चौका देने वाली घटना घटी आज शाम उस बोरवेल में एक सांप आ गया था लेकिन राहुल की जीवटता से वह खतरा भी टल गया।

रविवार और शनिवार को रोबोटिक रेस्क्यू ऑपरेशन का पहला चरण सफल होने के बाद टनल बनाने का काम चालू किया गया ।सुरंग बनाने के लिए कुसमुंडा मनेंद्रगढ़ के एसईसीएल के अधिकारियों से चर्चा की गई कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला सहित सभी अधिकारियों ने निरीक्षण किया। टोटल स्टेशन से ली गई गहराई कितना के अनुसार खुदाई का कार्य किया गया ।


राहुल साहू बोरवेल मे कैसे गिरा ?

पिहरीद गांव का राहुल अपने घर के पीछे खेलते समय शुक्रवार दोपहर को बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था ।जैसे ही जिला प्रशासन को इस घटना की सूचना मिली देर शाम और रात से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला की अगुवाई में जिला प्रशासन की टीम पिहरिद गांव में पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत की गई ।

छत्तीसगढ़ का अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन अब पूरा हो गया है । करीब 105 घंटे बाद बोरवेल में गिरे राहुल साहू को बाहर निकाल लिया गया है मंगलवार की करीब रात 10:45बजे बोरवेल से निकालने के बाद चिकित्सकीय विशेषज्ञों ने राहुल की प्राथमिक जांच की। इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे रात्रि ही अस्पताल रवाना किया गया । देश की ऑपरेशन में शासन ,प्रशासन, पुलिस ,सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ ,की टीम ने काम किया । 60 फीट तक गड्ढा करने के बाद 22 फीट का टनल बनाया गया ।इस टनल के जरिए काफी मशक्कत के बाद राहुल को बाहर निकाला गया। टनल की खुदाई बीते रविवार से ही शुरू की गई थी लेकिन चट्टाने बार-बार रोड़ा बन रही थी..


गुजरात से रोबोट इंजीनियर और ओडिसा से एनडीआरएफ की टीम बुलाया गया।

राहुल साहू को सुरक्षित निकालने के लिए युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला और एसपी विजय अग्रवाल ने राहुल के परिजनों से मुख्यमंत्री की बात कराई ।मुख्यमंत्री के निर्देश पर गुजरात से रोबोट इंजीनियर को शनिवार को बुलाया गया।
ओडिसा से एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया । इस रेस्क्यु ऑपरेशन में 4 आईएएस, 2 आईपीएस ,पांच एडिशनल एसपी ,4 एसडीओपी, एनडीआरएफ के 32 कर्मी, पांच तहसीलदार ,8 टीआई और 120 पुलिसकर्मी, ई ई (पीडब्ल्यूडी) , ई ई( पी एच ई), सीएमएचओ, 1 सहायक खनिज अधिकारी, एसडीआरएफ से 15 कर्मचारी और होमगार्ड के जवान शामिल रहे..


इन इन मशीनों का किया गया इस्तेमाल ।

जांजगीर के पिहरिद गांव में राहुल को बोरवेल से निकालने में एक स्टोन ब्रेकर, तीन पोकलेन, तीन जेसीबी, तीन हाईवा, 10 ट्रेक्टर, 3 वाटर टैंकर, दो डीजल टैंकर, एक हाइड्रा, एक फायर ब्रिगेड, एक ट्रांसपोर्टिंग ट्रेलर, तीन पिक अप ,एक होरिजेंटल ट्रंक मेकर ,ड्रिल मशीन, रोबोट मशीन और दो जनरेटर का उपयोग किया गया । मौके पर एंबुलेंस को भी तैनात कर रखा गया था।


किसका है बोरवेल?

यह बोरवेल राहुल के पिता ने ही खुदवाया है। राहुल के पिता लाला साहू ने अपने घर की बाड़ी में पानी की व्यवस्था के लिए 120 फिट के करीब बोर कराया है। केसिंग लगाया गया था, लेकिन बोर में खराबी आने के कारण उस बोर को बंद कर दिया गया और इसकी केसिंग पाइप को भी निकाल दिया गया रहा। और बोर 6 से 8 इंच का हो गया रहा ।अपनी बाडी में खेलते हुए राहुल इसी बोर के अंदर गिर गया ।


बच्चों के बोरवेल में गिरने जैसी और भी कई घटनाए है।

21 जुलाई 2006 की वो तारीख है जब पहली बार किसी मासूम के बोरवेल में गिरने की घटना सामने आई थी । हम बात कर रहे है कुरुक्षेत्र,हरियाणा के 5 वर्षीय मासूम "प्रिंस" की । प्रिंस के रेस्क्यू ऑपरेशन को टीवी चैनल्स पर घंटों लाइव दिखाया गया था मासूम प्रिंस के लिए टीवी पर चिपके पड़े लोगों की भगवान से मांगी दुआओं का असर था कि 3 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद हंसता खेलता प्रिंस 50 फीट गहरे बोरवेल से सकुशल बाहर निकाल लाया गया था ।
इसी तरह प्रिंस के रेस्क्यू के बाद बोरवेल में गिरने की घटनाएं आम हो गई ।इसके बाद की घटना मुंगेर ' की है जहां मंगलवार दोपहर आंगन में खुदे 225 फिट गहरे बोरवेल के गड्ढे के 45 फिट ऊपर फंसी मासूम "सना" को आखिरकार लम्बे जद्दोजहद के बाद एनडीआरएफ , एसडीआरएफ टीम के सफल रेस्क्यू के बाद सुरक्षित बाहर निकलने में कामयाब रही थी। सना के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बी जे पी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्विटर पर ट्वीट कर अपनी खुशी भी जाहिर की थी ।
परंतु बोरवेल में बच्चे के गिरने का सिलसिला इसके बाद भी नही रुका और हाल ही में यह घटना छत्तीसगढ के जांजगीर चांपा जिला अंतर्गत में आने वाले ग्राम पिहरीद में आज पर्यन्त फिर देखी गई ।


क्या है बोरवेल की खुदाई से पूर्व की दिशा निर्देश

ग्रामीण इलाकों में बोरवेल की खुदाई सरपंच और कृषि विभाग के अफसरों की निगरानी में जरूरी है। जबकि शहरों में यह काम ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम इंजीनियर की देखरेख में करना अनिवार्य है । बोरवेल खुदवाने के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि, बोरवेल की खुदाई करने वाली एजेंसी रजिस्टर्ड है अथवा नहीं । बोरवेल की खुदाई से पूर्व सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बोरवेल की खुदाई वाली जगह पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं जिसमें उसके खतरे के बारे में बकायदा लोगों का आगाह किया जाए यही नहीं बोरवेल की खुदाई वाली जगह को कटीले तारों से गिरने और उसके आसपास कंक्रीट की दीवार खड़ी करने के अलावा गड्ढों के मुंह को लोहे के ढक्कन से ढकना भी बेहद जरूरी है।


सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद भी नहीं बदली सूरत..

बोरवेल में मासूमों के गिरने की घटनाओं में आई वृद्धि का नतीजा था कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने बोरवेल से जुड़े कई दिशा निर्देशों में सुधार करते हुए उसकी खुदाई से पूर्व सावधानी की कई नई बातों को जोड़ा ।
लेकिन सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं अथवा समूह द्वारा गड्ढों को खोदना और खुदाई के बाद गड्ढों को खुला छोड़ने की लापरवाही आज भी जारी है ।यही कारण है कि ऐसे गड्ढों में मासूमों के गिरने की घटनाओं की पुनरावृत्ति होने लगी है।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2006 से 2022 के अंतराल में दर्जनभर से अधिक मासूमों के बोरवेल में गिरने की घटनाएं सुर्खियां बना चुकी है। उसमें कई मासूम अपनी जान तक भी गवां चुके हैं। लेकिन खुले गड्ढे और गहरे बोरवेल के गड्ढों से मासूमों की सुरक्षा को लेकर कोई नई पहल भी होती नहीं दिख रही है।
ज्ञात हो कि बच्चे अबोध और मासूम होते है उन्हे देश दुनिया,सही गलत की कोई जानकारी नहीं होती लेकिन हम तो समझदार है ।तो यह समझदारी सुरक्षा और सावधानियों पर क्यों नहीं लगाई जा सकती ? यह एक सोचने वाली बात है ।

                                                          दीपक महंत
                                                  (विशेष संवाददाता)
                                            समय दर्शन दैनिक अखबार
                                _________________________![IMG-20220615-WA0016.jpg](https://images.wortheum.news/DQmRXPumQ6KxdhWwy6d3p6JhbyjPo4KVZcGANjG1fz4Rto9/IMG-20220615-WA0016.jpg)![IMG-20220615-WA0015.jpg](https://images.wortheum.news/DQmbXi6dr4a3daMCgjHGRUbDi5zdvYUHc75MBpy1vLjj8qq/IMG-20220615-WA0015.jpg)![IMG-20220615-WA0015.jpg](https://images.wortheum.news/DQmbXi6dr4a3daMCgjHGRUbDi5zdvYUHc75MBpy1vLjj8qq/IMG-20220615-WA0015.jpg)