आजादी के 74 साल भी जर्जर सड़कों पर चल रहे लोग

in #cg2 years ago

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारें बदलीं, नेता बदले, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. लोग आज भी बदहाल, जर्जर और कीचड़युक्त रास्ते पर चलने को मजबूर हैं. राजधानी रायपुर के धरसीवां इलाके में आजादी के 74 साल बाद भी हालात बद से बदतर बने हुए हैं. कोई नेता और मंत्री की इस ओर निगाहें नहीं जा रही हैदरअसल, धरसीवां तहसील के अंदर आने वाले गांव खैरखुट सगनी के पास स्थित खारुन नदी (मुड़पार कला) जाने वाली सड़क जर्जर हालत में है. बरसात के दिनो में वहां से बाइक और साइकिल का चलाना भी मुश्किल हो जाता हैखौरखूट सगनी गांव (नदी) पार करके मुड़पार कला गांव जाने वाले रास्ते पर कीचड़ का अंबार है. जहां दो पहिया वाहन का जाना भी मुश्किल है. बारिश के दिनों में नदी में बाढ़ आने के कारण लोगों का आवागमन बंद हो जाता हैमामले में ग्रामीणों ने कहा कि गर्मी के दिनों में भी सड़क आने जाने लायक नहीं रहती है. सड़क खराब होने के कारण लोगों को आने जाने में दिक्कतें होती है. खराब और कच्ची सड़क है. खैरखूट जाने के लिए मुड़पार कला गांव और अन्य गांवों से जाने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैस्थानीय लोगों ने कहा कि मूलतः मुड़पार कला गांव के लोग सब्जी की खेती और कृषि कार्य करते हैं. सब्जी को नदी पार करके दो पहिए वाहन से लाने ले जाने का काम करते हैं, जिसमें कई बार गाड़ी में भरे सामान और चलाने वाले जख्मी हो जाते हैंवहीं मामले में गांव की ही एक लड़की ने कहा कि मेरे पापा बाइक से सब्जी लेके बाजार जाते हैं. कई बार वे हादसे का शिकार हो गए हैं. कीचड़ भरे रास्ते पर चलने के कारण बाइक और सब्जी गिर जाते हैं, जिससे सब्जियां खराब हो जाती हैंस्थानीय लोगों ने कहा कि अगर कोई गर्भवती या मरीज को अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस को बुलाएं, तो एंबुलेंस का पहुंचना भी मुश्किल है. मरीजों को बाइक से ही अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. पिछले कई दशकों से उबड़ खाबड़ रास्ते से लोग परेशान हैं, लेकिन किसी नेता या विधायक की नजर इधर नहीं पड़ती. इलाके के लोगों को सड़क की दरकार है।