35 गांवों के चकबंदी अभिलेख बनाने में लापरवाही न बरतें: डीएम

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कन्नौज 14 सितम्बरः (डेस्क)कन्नौज के जिलाधिकारी शुभ्रांत शुक्ल ने कलक्ट्रेट के गांधी सभागार में एक समीक्षा बैठक में 35 गांवों के जल चुके चकबंदी अभिलेखों के पुनर्निर्माण के कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरतने का निर्देश दिया। यह अभिलेख 1990 में हुए एक अग्निकांड के कारण जलकर नष्ट हो गए थे, जिससे चकबंदी प्रक्रिया बाधित हो गई थी।

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बैठक में डीएम ने कहा कि चकबंदी के अभिलेखों का सही और समय पर पुनर्निर्माण आवश्यक है, ताकि किसानों को उनकी भूमि के अधिकारों की पुष्टि हो सके। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस कार्य को प्राथमिकता दें और सुनिश्चित करें कि सभी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चलें।

कन्नौज में चकबंदी प्रक्रिया पिछले 34 वर्षों से बाधित है। इस समस्या का समाधान करने के लिए चकबंदी आयुक्त ने एक समिति का गठन किया है, जिसने 8 गांवों के अभिलेखों को फिर से तैयार किया है। डीएम ने कहा कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे उन्हें उनकी भूमि के अधिकारों का प्रमाण पत्र प्राप्त होगा, जो उनके आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा। डीएम ने सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस प्रक्रिया में कोई भी देरी न हो और सभी आवश्यक कदम समय पर उठाए जाएं।

इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि चकबंदी के अभिलेखों के पुनर्निर्माण से किसानों को उनकी भूमि के मालिकाना हक की पुष्टि होगी, जिससे वे अपनी कृषि गतिविधियों को बेहतर तरीके से संचालित कर सकेंगे।

शुभ्रांत शुक्ल ने कहा कि यह कार्य न केवल किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रशासन की जिम्मेदारी भी है कि वह इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न करे।

इस प्रकार, कन्नौज में चकबंदी अभिलेखों का पुनर्निर्माण एक सकारात्मक कदम है, जो किसानों के अधिकारों की रक्षा करेगा और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। डीएम ने सभी संबंधित अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे इस कार्य को प्राथमिकता दें और इसे समय पर पूरा करें।