रूस पर नहीं झुक रहा भारत लेकिन घाटे का दायरा बढ़ा

in #bussiness2 years ago

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इस साल अप्रैल और मई महीने के दौरान भारत ने रूस से 3.7 गुना अधिक आयात किया है.

आज प्रेस रिव्यू में सबसे पहले पढ़िए, यूक्रेन पर हमले के बाद प्रतिबंध की मार झेल रहे रूस से भारत का रिकॉर्ड तेल आयात बढ़ने की ख़बर.

अंग्रेज़ी अख़बार 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, दो महीने के अंदर रूस ने भारत को पाँच अरब डॉलर का निर्यात किया है, जिसमें कच्चे तेल की मात्रा सबसे ज़्यादा है. ये साल 2021 से 2022 तक रूस से किए कुल आयात का आधा हिस्सा है.

फ़रवरी महीने में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से भारत का आयात क़रीब साढ़े तीन गुना बढ़कर 8.6 अरब डॉलर तक पहुँच गया है. साल 2021 के दौरान इसी अवधि में भारत का रूस से आयात सिर्फ़ 2.5 अरब डॉलर था.

वाणिज्य मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा फ़र्टिलाइज़र और ख़ाने के तेल के आयात में भी काफ़ी वृद्धि हुई है. कोयला, हीरा और अन्य क़ीमती रत्नों के आयात में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है. भारत का रूस से व्यापार घाटा बढ़ा है.

दबाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने ये साफ़ कर दिया था कि रूस से भारत जितना तेल ख़रीद रहा है, उतना यूरोप एक दिन से भी कम समय में ख़रीदता है.

भारत लगातार ये कहता आ रहा है कि रूस से तेल ख़रीदकर वो किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा है. जून में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत को सबसे अधिक तेल बेचने वाले देशों की सूची में सऊदी को पीछे छोड़कर रूस दूसरे पायदान पर आ गया है. पहले नंबर पर इराक़ है.

आयात बढ़ा पर निर्यात को झटका
भारत का रूस से आयात बढ़ा ज़रूर है लेकिन इसकी क़ीमत उसे घटते निर्यात के तौर पर चुकानी पड़ रही है. अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार भारत का रूस को होने वाले निर्यात घटने के वजह से व्यापार घाटा साल 2022-23 के पहले दो महीने में 4.8 अरब डॉलर तक पहुँच गया जबकि बीते साल इसी समयावधि में ये 90 करोड़ डॉलर था.

अप्रैल और मई 2022 में अनुमान के अनुसार, ईंधन उत्पादों का आयात छह गुना बढ़कर 4.2 अरब डॉलर का हो गया है. इसमें से 3.2 अरब डॉलर की लागत से कच्चे तेल की ख़रीद हुई है. वहीं 2021 के दौरान इन दो महीनों में रूस से कोई आयात नहीं किया गया था.

फ़रवरी महीने को छोड़कर (जब युद्ध शुरू हुआ), रूस से 'खनिज तेल' का आयात हर महीने बढ़ा है. फ़रवरी से मई के बीच ये आयात 5.3 अरब डॉलर का कहा जो कि बीते साल इसी समय की तुलना में पाँच गुना अधिक है.

आंकड़े दिखाते हैं कि मार्च महीने से लेकर अब तक अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भारत सरकार बेहिचक रूस से आयात कर रही है.

रिपोर्ट में सरकार के सूत्रों के आधार पर बताया गया है कि पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों ने भारत को रूसी कंपनियों के साथ बेहतर सौदे पाने में मदद की है और ये भारत की अर्थव्यवस्था के हित में है.

युद्ध के शुरुआती दिनों से उलट ये आंकड़े दिखाते हैं कि अब दोनों देशों के बीच सीधे ट्रांज़ेक्शन हो रहा है क्योंकि कच्चा तेल को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से छूट मिली हुई है. इसी का परिणाम है कि फ़र्टिलाइज़र के आयात में भी वृद्धि हुई है और फ़रवरी में युद्ध शुरू होने से लेकर अब तक शिपमेंट का मूल्य आठ गुना बढ़कर 60.8 करोड़ डॉलर तक पहुँच गया है.