बिजनौर:गरीब को शिक्षा से वांछित क्यो रखा जाता है।जानिए

in #bijnor2 years ago

गुलामगिरी’ ऊंच-नीच पैदा करने वाली व्यवस्था पर तर्कपूर्ण ढंग से चोट करते हुए इस पुस्तक को पढ़ने पर पता चलता है कि क्यों दलितों के लिए अंग्रेज मुक्तिदाता सरीखे थे?
महात्मा ज्योतिबा फुले की गुलाम गिरी पुस्तक ज़रूर पढ़ें।🙏

दर असल गुलामगिरी मराठी में लिखी गई किताब है जिसका डॉ विमलकीर्ति ने हिंदी मे अनुवाद किया है मराठी भाषा के हिसाब से देखा जाए तो 144 साल पहले लिखी गई थी इस किताब का उन्होंने लिखा है यथास्थितिवाद किसी भी समाज और दौर के लिए खतरनाक है ज्योतिबा फूले की यह किताब यथास्थितिवाद से लड़ने का रास्ता दिखाती है और हौसला भी देती है ज्योतिबा जातिवाद का दंश झेलकर स्वयं हीनता में नहीं जाते, बल्कि ज्योतिबा दूसरों को हीनता से बाहर आने का रास्ता दिखाते हैं. समाज में जब तक जातिव्यवस्था के अंश बचे रहेंगे, तब तक गुलामगिरी जैसी क्रांतिधर्मा किताबों की प्रासंगिकता बनी रहेगी

ज्योतिबा फूले की गुलामगिरी किताब ने उस दौर में सामाजिक-राजनैतिक आंदोलन को बहुत प्रभावित किया था उत्तर भारत के सामाजिक कार्यकर्ताओं शायद ही इस कितान की जानकारी हो परंतु आज के इस दौर में यह कितान सभी के लिए एक बहुत ही ज़रूरी किताब है जो जातिवाद से लड़ने का तार्किक रास्ता दिखाती है जाति व्यावस्था के विषय में अपने विचारों को मजबूत करने के लिए इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। इस किताब को आप अपने मोबाइल में डाउनलोड अवश्य करें और जब भी समय मिले कहीं जाते-आते या किसी ढाबे पर चाय पीते हुए इसे ज़रूर पढ़ें।

केवल सौ रुपये मे ज्योतिबा फुले की यह पुस्तक गुलामगीरी जरूर खरीदे सात पीढिय़ां सुधर जायेंगी अंधविश्वास पाखण्ड से बाहर निकलने का रास्ता साफ दिखाई देगा ज्योतिबा राव फुले लिख गये शिक्षा उसे कहते हैं जो सही को सही और गलत को गलत कहने की क्षमता रखता हो
अनपढ़ अशिक्षित जनता को फंसाकर नेता अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं और यह वह प्राचीन काल से कर भी रहें हैं इसलिए गरीब को शिक्षा से वंचित रखा जाता है।
ज्योतिबा फुले / गुलामगिरी
अपनी राय जरू दे ।FB_IMG_1655371017412.jpg