एक लाइन स्टाफ के भरोसे 1524 घर, जरूरत 800 घर में एक कर्मी की

in #bijli2 years ago

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बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के नाम पर बिजली कंपनी आधुनिकीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन असल समस्या की तरफ प्रबंधन का ध्यान नहीं जा रहा है। हल्की आंधी तूफान में बिजली सिस्टम चरमरा जाता है। लाइन टूट जाती है, लेकिन सुधार करने वाले की कमी दूर नहीं की जा रही है। शहर में 3.65 लाख उपभोक्ता पर महज 239 लाइन कर्मचारी पदस्थ है। यानी 1524 घर पर एक लाइन कर्मचारी है। जबकि सामान्य स्थिति के लिए आठ सौ घर पर एक कर्मचारी होना चाहिए। हर माह बिजली कर्मी सेवानिवृत्त होने के साथ कम हो रहे है। इधर अफसर ठेका श्रमिकों के भरोेसे लाइन का रखरखाव करवाने मजबूर है। कई बार तो उपभोक्ता तंग होकर कर्मचारियों से विवाद तक करने में उतारू हो जाते हैं।
ज्ञात हो कि बिजली विभाग में इंजीनियर के अलावा लाइन सुधार का कार्य करने वालों का मुख्य कार्य होता है। इसमें लाइन पर्यवेक्षक, वरिष्ठ लाइन सहायक, लाइन सहायक, वरिष्ठ लाइन परिचालक और लाइन परिचालक के पद होते हैं। जो बिजली व्यवधान को दूर करने में अमह हाेते हैं। बिजली विभाग में एक दशक से उक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में अधिकांश कर्मी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह विभाग ठेका श्रमिकों से कार्य करवाया जा रहा है।
सब स्टेशन में सुधार, बिजली फाल्ट, मीटर लगाना, मीटर जलना, मीटर बदला, फ्यूज उड़ना,ट्रांसफार्मर से खराबी आदि समस्याओं के लिए लाइन कर्मियों की आवश्यक्ता होती है। बिजली बंद होने पर लगातार शिकायत बढ़ जाती है। उपभोक्ता कई बार घंटों परेशान होकर बिजली दफ्तर तक पहुंच जाते हैं। फोन पर भी अफसरों के साथ जल्दी सुधार कार्य के लिए दवाब बनाते हैं।
बिजली कंपनी के नियम के अनुसार बिजली के पाेल की चालू लाइन में काम करने के लिए नियमित और प्रशिक्षित कर्मी होना आवश्यक है। ठेका श्रमिकों को न प्रशिक्षण मिला होता है न उनके पास निर्धारित योग्यता होती है। फिर भी रख रखाव के दौरान कई अधिकारी ठेका श्रमिकों से ही लाइन पर काम करवाते हैं। इस दौरान कई बार दुर्घटना तक हो चुकी है। इसमें दुखद पहलू ये हैं कि ठेका श्रमिकों को लेकर बिजली कंपनी की सीधी जिम्मेदारी तय नहीं है। इसलिए ठेकेदार से उन्हें वेतन भी बहुत कम मिलता है।