बीजेपी को क्यों लगता है कि पीएफआई के ख़िलाफ कार्रवाई में नीतीश दोहराएंगे "भटकल" वाली गलती
पटना पुलिस ने पीएफ़आई और एसडीपीआई के कथित देश विरोधी गतिविधि के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. इस कारवाई का केंद्र राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ है, जहां इनके दफ़्तर में छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेज के आधार पर कार्रवाई हो रही है. इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार देश विरोधी कार्य में छब्बीस लोगों को आरोपी बनाया गया है. प्राथमिकी के अनुसार भारतीय दंड विधान की धारा 120/120(B)/121/121(A)/153(A) / 153 (B) / 34 में आरोपित करते हुए अतहर परवेज, पिता अब्दुल क्यूम अंसारी और मो. जलालुद्दीन, पिता स्व. मो. हसन को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, जो लग इनसे ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे थे, उन्हें भी आरोपित किया गया है. लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोगी बीजेपी को उनके ऊपर भरोसा नहीं जो उनके नेताओं के निरंतर बयान से साफ हैं.
वो चाहे आरएसएस को इस मामले में घसीटे जाने के बाद विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल का बयान हो या विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा या अब बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल का. सबके बयानों में आरोपियों को बचाने के साज़िश का शक व्यक्त किया जा रहा है. हालांकि, इसका एक कारण इन गिरफ़्तारियों को लेके नीतीश मंत्रिमंडल के जनता दल यूनाइटेड के मंत्री और विपक्ष राष्ट्रीय जनता दल का आरएसएस को लेकर एक राग आलापना. वहीं, बीजेपी अलग थलग पड़ती दिख रही है.
बीजेपी का कहना है कि उनके शक का आधार नीतीश कुमार सरकार का वो चाहे भारतीय मुजाहुद्दीन के ख़िलाफ़ 2005-2015 तक कार्रवाई हो जब वो केंद्रीय एजेन्सीयों द्वारा छापेमारी का सार्वजनिक रूप से इस आधार पर विरोध करते थे कि स्थानीय पुलिस को समय पर नहीं बताया जाता या जो दरभंगा मोड्यूल का नाम दिया जाता वो आपत्तिजनक है. लेकिन उससे भी अधिक यासीन भटकल की गिरफ़्तारी में जो नीतीश कुमार कि भूमिका रही उससे वो पूरी जांच पर नज़र बनाए हुए है.
ये बहुत कम लोगों को मालूम है कि यासीन भटकल जिसकी गिरफ़्तारी बिहार - नेपाल सीमा के रकसौल में दिखायी गयी थी वो अगस्त 2013 के आखिरी हफ़्ते में नेपाल के पोखरा में आईबी और बिहार पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ़्तार हुआ था. उसकी गिरफ़्तारी में उस समय के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक अभयानंद की सहमति और नीतीश के जानकारी में तीन इन्स्पेक्टर रैंक के अधिकारी और उस समय मोतिहारी के एसपी विनय कुमार शामिल थे. जिस दिन गिरफ़्तारी हुई उस दिन विनय अपने ज़िले में कुछ सांप्रदायिक तनाव के कारण वापस आ गए थे. लेकिन वो तुरंत भटकल की गिरफ़्तारी के बाद पोखरा लौटे थे.