रेगिस्तान में लू की जगह बारिश, थार में खेजड़ी के पेड़ों पर सांगरी की जगह उगी ऐसी चीज, किसान हैरान
रेगिस्तान में लू की जगह बारिश, थार में खेजड़ी के पेड़ों पर सांगरी की जगह उगी ऐसी चीज, किसान हैरानकिसान शंकरलाल पालीवाल ने बताया कि उनके गांव में ऐसा पहली बार हुआ है जब खेजड़ी पर सांगरी की जगह गांठें नजर आ रही हैं।
जितेन्द्र कुमार छंगाणी
पश्चिमी राजस्थान के कल्पवृक्ष खेजड़ी पर लगने वाली सांगरी भी अब जलवायु परिवर्तन की शिकार हो गई है। हर साल अप्रेल व मई माह में सांगरी से लकदक नजर आने वाली खेजड़ी के पेड़ों पर इस साल सांगरी की बजाए गांठें नजर आ रही है। इसके पीछे का कारण ग्रामीणों को भले ही नहीं समझ आ रहा, लेकिन विशेषज्ञ इस बार लू का नहीं चलना मान रहे हैं। जानकारों की मानें तो इस बार फरवरी के बाद से बादलों की आवाजाही से वातावरण में शीतलता बनी रही, जिससे लू का प्रवाह इस बार वैसा नहीं है, जैसा होना चाहिए। इसके कारण खेजड़ी में पिछले सालों की अपेक्षा फ्लावरिंग कम हुई है, लेकिन जहां फ्लावरिंग हुई, वहां सांगरी की बजाए गांठें बनकर रह गईं।दिन रात के तापमान का अंतर है कारण
बीकानेर से फलोदी व जैसलमेर के अधिकतर रेगिस्तानी भू-भाग पर लगी खेजड़ी में इस बार सांगरी का उत्पादन अब तक नजर नहीं आ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण गर्म हवाओं का नहीं चलना और दिन व रात के तापमान का गेप कम होना है, जिससे बहुत सारी प्रजातियों में पुष्पीय चक्र रूपान्तरण हो रहा है, जिससे राजस्थान की वनस्पतियां परिवर्तित हो रही हैं।
डाॅ. दाऊलाल बोहरा, वन्य जीव विशेषज्ञ, सदस्य आईयूसीएन
प्राकृतिक चक्र हो रहा प्रभावित
गत साल की तरह इस बार मौसम में कई परिवर्तन देखे गए है, जिसने प्राकृतिक चक्र को प्रभावित किया है। जिसके कारण राजस्थान की बहुत सारी पादपीय प्रजातियों में बदलाव आया है। गर्मी की वनस्पतियां प्रभावित हुई हैं। जिसे समझते हुए आगे की योजना तैयार करने की जरूरत है।
प्रकाश छंगाणी, भू-वैज्ञानिक व सदस्य, जलवायु परिवर्तन समिति
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