ट्रैक बहने के बाद मैदानी अमले के साथ अधिकारी बरत रहे है अतिरिक्त सतर्कता
भोपाल। ताकू-केसला के बीच शुक्रवार हुई रेलवे ट्रैक के बहने की घटना के बाद रेलवे के अधिकारियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ रही है। दफ्तरों से निगरानी करने के अलावा खुद भी ट्रैक पर जा रहे हैं। शनिवार को भोपाल रेल मंडल के अलग-अलग रेलखंडों में 12 से अधिक सीनियर सेक्शन इंजीनियर मौके पर पहुंचे और ट्रैक की स्थिति का जायजा लिया है। आमतौर पर ट्रैकमैन व उनके सुपरवाइजर ही मैदानी स्तर पर मोर्चा संभालते हैं। खासकर पूरी जिम्मेदारी ट्रैकमैन पर होती है और वे ही अप्रिय स्थिति में कंट्रोल को सूचना देकर ट्रेनों को रूकवाते हैं।
• इन रेलखंडों में अधिक सतर्कता
भोपाल से बैतूल के बीच रेल मार्ग पहाड़ों के बीच से होकर गुजरता है। गर्मी व ठंड के दिनों में यहां कोई दिक्कत नहीं आती है लेकिन वर्षा के समय पहाड़ों से पानी ट्रैक पर गिरता है। जब पानी का बहाव तेज होता है तो वह ट्रैक की गिट्टी बहाकर ले जाता है। इस रेलमार्ग पर 12 से अधिक बड़े नाले और आठ से अधिक नदियां है जिनमें वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति बनती है। पूर्व में बरखेड़ा से बुधनी के बीच नाले के पानी के तेज बहाव में ट्रैक का कुछ हिस्सा बह चुका है। कुछ वर्ष पहले घोड़ाड़ाेंगरी के पास नदी की बाढ़ में ट्रैक बह गया था। जबकि हरदा के पास भिरंगी में ट्रैक बहने के कारण ट्रेनों के कुछ डिब्बे ही बह गए थे। बीते वर्ष ग्वालियर से गुना के बीच भी ट्रैक बह चुका है। इन घटनाओं को देखते हुए पश्चिम मध्य रेलवे में विशेष सावधानी बरती जा रही है।
• मैदानी रेलकर्मियों को ये दिए अधिकार
• रेलवे ट्रैक पर पानी भरने की स्थिति में बिना किसी की अनुमति के ट्रेनें रूकवा सकेंगे।
• ऐसा महसूस होता है कि तेज वर्षा हो रही है और ट्रेन परिचालन को कुछ समय के लिए रूकवा देना चाहिए तो रेलवे के कंट्रोल को सुझाव दे सकते हैं।