बैग के बोझ तले दब रहा नौनिहालों का बचपन, ठूंस- ठूंस कर वैन में भरे जा रहे बच्चे

in #bhopal2 years ago

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भोपाल।
बस्ते के बोझ तले नौनिहालों का बचपन दब रहा है। अब हालात ऐसे हो चले हैं कि भारी बैग के दबाव के कारण बच्चे गर्दन और पीठ दर्द का शिकार भी हो रहे हैं। बच्चों और उनके अभिभावकों की इस पीड़ा को लेकर प्रमुखता से खबर को प्रकाशित किया था। और लगातार इस समस्या को प्रमुखता से उठाता रहा। जिसके बाद आज बाल आयोग की टीम ने पत्रिका की खबर पर संज्ञान लेते हुए स्कूलों का औचक निरीक्षण किया और इलेक्ट्रानिक तराजू से मौके पर बच्चों के बैग का वजन मापा। जिसमें बच्चों के बैग का वजन 10 से 12 किलों तक निकला। जबकि स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के मुताबिक किसी भी कक्षा के बच्चे के बैग का वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन यहां कक्षा छठवीं और सातवीं कक्षा के बच्चे ही 8 से 10 किलो तक का भारी बैग ढो रहे हैं। स्कूल प्रशासन की इस लापरवाही पर बाल आयोग ने तत्काल नोटिस जारी किया। एक स्कूल में आयोग की टीम पहुंचते ही प्रिसंपल नदारद हो गए और बाकी स्टॉफ खामियों को लेकर सफाई देता रहा।

बैन में ठूंस- ठूंस कर भरे जा रहें बच्चे

औचक निरीक्षण के दौरान सिर्फ भारी बैग ही नहीं बल्कि स्कूल बैन और बसों में भी कई खामियां मिली। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ज्यादातर स्कूलों में घरों से बच्चों को बैन और बसों में ठूंस- ठूंस कर भरकर लाया जा रहा है। एक बैन में करीब 20 से 22 बच्चे मिले यानी की बैन की क्षमता से दोगुना बच्चे बैठाए जा रहे है। वहीं कई बसों और वैन के कांच भी टूटे मिले। वहीं आयोग की टीम ने जब बच्चों से हेल्पलाइन नंबर और बाल अधिकारों के बारे में पूछा तो वो भी बच्चों को नहीं मालूम था। जिसके बाद बाल आयोग की टीम ने बच्चों को हेल्पलाइन नंबर और उनके बाल अधिकारों के बारे में बताया। निरीक्षण के दौरान बाल आयोग की टीम के साथ ट्रैफिक और आरटीओ का दस्ता भी मौजूद रहा।
बच्चों का भारी बैग एक बड़ी समस्या है। जिसको लेकर आज बाल आयोग की टीम ने औचक निरीक्षण किया। इस दौरान बैग के भारी वजन के साथ ही बच्चों की लाने ले जाने वाली सुविधा में भी कई खामियां पाई गई हैं। जिसको लेकर संबंधित स्कूलों को नोटिस दिया गया है।
बृजेश सिंह चौहान, सदस्य, मध्यप्रदेश बाल आयोग