बावड़ी(जोधपुर)राजस्थान:---रस्सियों से बंधा रविन्द्र का जीवन

in #bawri2 years ago

मानसिक रोग से ग्रस्त रवीन्द्र का जीवन रस्सी से बंधा
मिर्गी आने से बिगड़ा IMG_20220530_121032.jpg संतुलन पिछले ग्यारह वर्षो से घर मे बांधा हुआ

बावड़़ीः----नाम रवीन्द्र उम्र 16 वर्ष निवासी बावड़ी...खेलने कुदने की उम्र बेड़ियो मे ही गुजर गई। बावड़ी कस्बे के तालो का बेरा निवासी बद्रीराम कच्छावाहा के तीन पुत्र है जितेन्द्र,चेतन व सबसे छोटा है रवीन्द्र। जब रवीन्द्र पांच साल का था तब तक सही चल रहा था एक वर्ष तक रवीन्द्र स्कूल भी गया उसके बाद उसे मिर्गी के दौरे आने शुरू हो गए उसके बाद से ही उसकी तबीयत बिगड़ गई मिर्गी के दौरे केे साथ रवीन्द्र ने मानसिक संतुलन खो दिया। बद्रीराम ने बताया कि इसको लेकर शहर के हर अस्पताल मे ईलाज करवाया लेकिन सुधार नही हुआ। मानसिक संतुलन बिगड़ने केे बाद रवीन्द्र किसी को भी पत्थर मारता तो कई बार घर से भाग जाता है जिसे बड़ी मुश्किल से पकड़ लान पड़ता था।इससे परेशान होकर परिजनो ने रवीन्द्र को पाँव मे रस्सी डालकर बांध दिया।

रस्सी के सहारे ही बांधे रखना पड़ता है
घर क बाहर सीमेन्ट के पतरो से बने बरामदे मे एक चारपाई बिछी हुई जिस पर पास की दीवार मे बंधी रस्सी से रवीन्द्र बांधा हुआ वही पर उसका खाना पीना व सोना होता है।रवीन्द्र की मा माडी वही पर उसको खाना खिलाने के साथ वही पर स्नान करवाती है।
बच्चो के ईलाज मे लगते है मासिक तीन हजार
साधारण किसान परिवार के बद्रीराम को अपने बच्चो के ईलाज के लिए मासिक 2500 से 3000 रूपये की दवाईया खरीद कर लानी पड़ती है जो कि इस मंहगाई के दौर मे मुनासिब नही है।प्रशासन या भामाशाह द्धारा इसका अच्छे अस्पताल मे ईलाज करवा दिया जाए तो काफी हद तक बच्चे की सेहत मे सुधार हो सकता है।
उम्मेद अस्पताल मे करवाया ईलाज
रवीन्द्र की मां माडी ने बताया कि प्रथम बार जब रवीन्द्र को मिर्गी के दौरे आए तब उम्मेद अस्पताल मे ईलाज करवाया लेकिन सुधार नही हुआ।
पिछले 10 सालो से बांधा हुआ है
रवीन्द्र जब पांच साल का था तब बोलता था सब कुछ समझता था जब उसकी तबीयत बिगड़ गई उसके बाद बोलना सब कुछ बन्द हो गया घर से कभी कभार भाग जाता था उसकोे बाद से करीबन पिछले 10 वर्षो से उसको बांधकर रखा गया है अब रवीन्द्र 16 साल का हो गया।
मासिक पेंशन 750
सरकारी सहायता के तौर पर रवीन्द्र को प्रत्येक माह 750 रूपये पेंशन के रूप मे मिलते है जो कि उसकी दवाईयो के लिए भी पुरे नही हो पाते है।
जितेंद्र भी मिर्गी रोग से ग्रस्त
बद्रीराम का बड़ा लड़का 21 वर्षीय जितेंद्र को भी कभी कभार मिर्गी के दौरे आते है बद्रीराम ने बताया कि मिर्गी के वजह से जितेंद्र का एक हाथ पोलियोग्रस्त हो गया। हालांकि उसका दिमागी संतुलन सही होने से वह अपना कार्य स्वयं ही करता है।

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