अमृत सरोवर से बदलेंगी गॉवो की तस्वीर-जयन्त मिश्र

in #basti2 years ago

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता का आवाहन किया है कि जल संरक्षण के लिए व्यापक अभियान चलाया जाए। इस अभियान में उन्होंने 'अमृत सरोवर' की परिकल्पना को साकार करने की अपील की है। उन्होंने अपील की है कि देश के सभी जिलों में ७५-७५ अमृत सरोवर बनाए जाएं। यह योजना साकार होने के बाद देश में ५० हजार अमृत सरोवरों का निर्माण और पुनर्निर्माण होगा।IMG-20220808-WA0456.jpg

प्रधानमंत्री बार- बार कहते रहे हैं कि 'जल है तो कल है'। जल संरक्षण से ही भविष्य के जीवन को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए हमें अपने परंपरागत जल स्रोतों को बचाना पड़ेगा। उनका संरक्षण करना पडेगा। उन विधियों को भी फिर से अपनाना होगा जिन्हें हमारे पूर्वजों ने खोज कर जल संरक्षण किया था। जलवायु परिवर्तन की इस विभीषिका में हम सभी जानते हैं कि जल की कमी से जहां मानव जाति को गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा, वहीं जीव-जन्तु, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों सभी का जीवन संकट में पड़ जाएगा। जल नहीं होगा तो कृषि, उद्योग धन्धे सभी प्रभावित हो जाएंगे।

आज भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। गांव हों या शहर सभी जगह जल स्तर में गिरावट हो रही है। सिंचाई के पंप हों या हैंडपंप सभी सूख रहे हैं। इसका कारण है अंधाधुंध जल दोहन। हम जल के उपयोग और उसके संरक्षण के संतुलन को भूल गए हैं। इसके लिए फिर से पीछे लौटना होगा। हमारे यहां कुओं, तालाबों, पोखरों, नदियों की महत्ता रही है। ये सभी जल स्रोत प्राकृतिक और वर्षा जल का संरक्षण करते थे, जिससे वर्ष भर जल की उपलब्धता होती थी। इनसे जल का रिचार्ज होने से भूमिगत जलस्तर भी बना रहता था। अब कुएं सूख गए, तालाबों को पाटकर मकान बना दिए गए, उन पर अतिक्रमण हो गए। नदियों में पानी नहीं है। पोखरों और झीलों की उपेक्षा हो रही है, तो परिणाम सामने हैं, आसन्न गंभीर जल संकट ।

भविष्य की भयावह स्थिति से बचने के लिए ही प्रधानमंत्री ने अमृत सरोवर की परिकल्पना की है। ये सरोवर गांव के उन तालाबों को पुनर्जीवित करके बनेंगे, जिन पर या तो कब्जे हैं अथवा जिनमें गंदा जल और जलकुंभी भरी है। ऐसे तालाबों को चिन्हित किया जाएगा। कब्जे हटाए जाएंगे। इन तालाबों को अमृत सरोवर का नाम दिया जाएगा। इनमें स्वच्छ जल की व्यवस्था की जाएगी। तालाबों के चारों ओर पक्का पथ बनाया जाएगा। उसकी सीमा पर पर वृक्षारोपण होगा। इसमें छायादार और फलदार वृक्ष लगेगे। इसमें नीम, बरगद, पीपल आदि के वृक्षों को प्रमुखता दी जाएगी। इन तालाबों के किनारे पर एक चबूतरा भी होगा जहां बैठकर ग्रामवासी अपनी बैठक, सांस्कृतिक कार्यक्रम अथवा कोई उत्सव भी मना सकेंगे। अमृत सरोवर के किनारे एक ध्वज दंड भी स्थापित किया जाएगा, जिस पर राष्ट्रीय पर्व के मौकों पर सामूहिक ध्वजारोहण किया जाएगा। इन सरोवरों का नामकरण भी होगा। सरकार की योजना है कि प्रत्येक सरोवर को एक नाम दिया जाए। यह नाम गांव के ही किसी बलिदानी या ऐतिहासिक पुरुष या महिला के नाम पर होगा।

अमृत सरोवर योजना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार भी कृतसंकल्प है। प्रदेश की सरकार शीघ्र ही आदेश जारी करके सभी ७५ जिलों में ७५-७५ अमृत सरोवर पर काम शुरू कराएगी। अमृत सरोवर योजना को साकार रूप देने के लिए कृषि, ग्राम विकास, पंचायती राज, जल शक्ति विभाग, पर्यावरण विभाग संयुक्त रूप से कार्य योजना बनाएंगे।

अमृत सरोवर योजना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार भी कृतसंकल्प है। प्रदेश की सरकार शीघ्र ही आदेश जारी करके सभी ७५ जिलों में ७५-७५ अमृत सरोवर पर काम शुरु कराएगी। अमृत सरोवर योजना को साकार रूप देने के लिए कृषि, ग्राम विकास, पंचायती राज, जल शक्ति विभाग, पर्यावरण विभाग संयुक्त रूप से कार्य योजना बनाएंगे। अमृत सरोवरों की स्थापना, पुनरोद्धार के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सभी जिला पंचयतों, क्षेत्र पंचायतों तथा ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी तय करके अमृत सरोवर योजना को पूर्ण किया जाएगा। अमृत सरोवर बनाये जाने के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है। ये सभी सरोवर आगामी १५ अगस्त तक बन जाएंगे।
अमृत सरोवर अभियान में उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात यह भी है कि इस योजना का विधिवत शुभारंभ होने के पहले ही रामपुर की पटवाई ग्राम पंचायत मैं अमृत सरोवर बन गया है। यह देश का पहला अमृत सरोवर है। इस सरोवर की चर्चा गत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में की। उन्होंने पटवाई की ग्रामीण जतना और पंचायत प्रतिनिधियों को बध आई दी। इस सरोवर पर दो साल पहले ही काम शुरू हो गया था। अब यह पूरी तरह से आकार ले चुका अमृत है। यह सरोवर प्रदेश की अन्य ग्राम पंचायतों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है।

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