कान्हा से बांधवगढ़ पार्क भेजे गए 11 बारासिंघा
- कान्हा के बारासिंघा बांधवगढ़ में करेंगे चहल कदमी
- कान्हा से बांधवगढ़ पार्क भेजे गए 11 बारासिंघा
- अब तक 48 बारासिंघा को भेजा जा चुका, तीन साल में 100 बारासिंघा भेजने का प्लान
- कान्हा में ही है विलुप्त प्रजाति के बारासिंघा
मंडला. बारासिंघा को प्रदेश के अन्य नेशनल पार्कों में आबाद करने के उद्देश्य से बांधवगढ़ में बसाने की तैयारी वर्ष 2021 से चल रही है। इसके लिए मंडला के कान्हा नेशनल पार्क से मंगलवार सुबह 11 बारहसिंगा बांधवगढ़ भेजे गए हैं। इनमें 3 नर और 8 मादा शामिल है। इन्हें विशेष वाहन से बांधवगढ़ के लिए रवाना किया गया है। ये लगभग 5 घंटे के सफर के बाद बांधवगढ़ पहुंचेंगे जहां उन्हें विशेष रूप से बनाए गए बाड़े में छोड़ा जाएगा। बांधवगढ़ पार्क में बारासिंघा को आबाद करने के लिए तीन साल में 100 बारासिंघा भेजने का प्लान है। जिसमें पहली शिफ्ट में 26 मार्च 2023 को 19 बारासिंघा दूसरी शिफ्ट 07 मई 2023 को 18 बारासिंघा और तीसरी शिफ्ट 13 फरवरी 2024 को 11 बारासिंघा बांधवगढ़ भेजे गए। जिसके लिए कान्हा टाइगर रिजर्व के सरही परिक्षेत्र स्थित रौंदा बीट से बारासिंघा को सफलता पूर्वक कैप्चर किया गया।
जानकारी अनुसार प्रदेश का राजकीय पशु बारहसिंघा कान्हा नेशनल पार्क में आबाद है। कान्हा में ही विलुप्त प्रजाति मौजूद है। यहां करीब एक हजार की संख्या में बारहसिंघा है। बारहसिंघा की प्रजाति को प्रदेश के अन्य नेशनल पार्क में बसाया जा रहा है। बारासिंघा की प्रजाति के विलुप्त होने की आशंका को देखते हुए प्रदेश के अन्य नेशनल पार्कों में इन्हें आबाद करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में कार्य योजना बनाई गई, जिसके बाद कान्हा से बारहसिंघा का ट्रांसलोकेशन किया जा रहा है। अभी तक कान्हा से वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में 07, सतपुड़ा नेशनल पार्क में 98 मध्य भारतीय हार्ड ग्राउंड बारहसिंघा शिफ्ट किये गये है। अब बांधवगढ नेशनल में पार्क को बारासिंघा से आबाद करने का प्लान है। जिसके चलते बारासिंघा की कान्हा से शिफ्टिंग की जा रही है। अभी तक तीन बार बारासिंघा कान्हा से भेजे जा चुके है। पहली बार 26 मार्च को 19 बारासिंघा भेजे गये थे। दूसरे शिफ्ट 07 मई को 18 बारासिंघा और तीसरी शिफ्ट 13 फरवरी 2024 को 11 बारासिंघा बांधवगढ़ भेजे गए। तीसरे शिफ्ट में 3 नर और 8 मादा शामिल है।
ऐसे किया गया बारहसिंघा को बोमा से कैप्चर :
बताया गया कि हिरण और बारहसिंघा बेहद नाजुक वन्य प्राणी होते हैं। जिन्हें पकडऩा या टेंक्यूलाइज करना खतरे से खाली नहीं होता। जिसके कारण बारहसिंघा को बिना हाथ लगाए और बेहोश किए कैप्चर करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए वाई के आकार का एक अपारदर्शी बाड़ा तैयार किया जाता है, जिसका एक हिस्सा काफी चौड़ा और सामने से खुला होता है, वहीं दूसरा हिस्सा पतली गली सा होता है। पतली गली वाले हिस्से के मुहाने पर उस वाहन को लगा दिया जाता है जिसमें बारहसिंघा परिवहन किए जाने हैं। बाड़े के चौड़े वाले खुले हिस्से से बारहसिंघा अंदर प्रवेश कर जाते हैं और फिर उन्हें हांककर पतली गली वाले हिस्से की तरफ ले जाया जाता है, जिसके मुहाने पर खड़े वाहन में बारहसिंघा सवार हो जाते हैं।
- 100 बारासिंघा भेजने का प्लान :
बांधवगढ में बारासिंघा को बसाने का दस साल का प्रोजेक्ट है। जिसमें कान्हा नेशनल पार्क से बांधवगढ बाराङ्क्षसघा तीन साल तक शिफ्ट किये जाएगेंं। यहां 100 बारासिंघा शिफ्ट किये जाएगे। पहले साल 50 बारासिंघा शिफ्ट किये जाने है। जिसमें कान्हा से 37 बारासिंघा भेजे जा चुके है। इस साल 13 बारासिंघा और भेजे जाएंगे। इसके बाद दो साल में 25-25 बारासिंघा भेजे जाएगे। कुल 100 बारासिंघा तीन साल में भेजे जाने है।
बारहसिंघा की घटती संख्या को बढ़ाने का प्रयास :
बताया गया कि प्रदेश में कान्हा नेशनल पार्क ही हार्ड ग्राउंड बारहसिंघा की बड़ी संख्या में प्रजाति थी लेकिन सन 1970 तक बारहसिंघा की संख्या कम हो गई। यहां सिर्फ 66 बारहसिंघा बचे थे। कान्हा प्रबंधन द्वारा बेहतर संरक्षण के चलते अब कान्हा में इनकी संख्या लगभग 948 तक हो गई है। इसके बाद बारहसिंघा की संख्या बढ़ाने के लिए कार्य योजना बनाई गई। यहां बारहसिंघा को बाड़े में रखा गया। इसके बाद विशेष देख रेख की गई। यहां के स्थाईकर्मी जोधा सिंह का बारहसिंघा की प्रजाति बढ़ाने में विशेष योगदान रहा। बारहसिंघा का कुनबा बढ़ाने के लिए यहां के करीब 250 अजगर बाड़े से बाहर निकाले गए, जिसके बाद बारहसिंघा की संख्या बढऩे लगी। अब कान्हा में बारहसिंघा की संख्या करीब 1100 के आसपास है। यहां के अलावा अब प्रदेश के दूसरे पार्कों में भी बारहसिंघा की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी के चलते अब बांधवगढ़ पार्क में भी बारहसिंघा को भेजने की कार्ययोजना शुरू हो गई है, जिसके बाद बांधवगढ़ पार्क में भी पर्यटकों को बारहसिंघा के दीदार होंगे।मगधी बाडा में अब 48 बारासिंघा:
कान्हा से ले जाये जा रहे बारासिंघा बांधवगढ के मगधी रेंज में बनाये गये बाड़े में रखे गये है। यहां बारासिंघा को सुरक्षित रखने के लिए 50 हैक्टेयर में खास बाड़ा तैयार किया गया है। यहां अब 48 बारासिंघा हो गये है। बारासिंघा बसाने का प्रोजेक्ट दस साल का है। जैसे ही बारासिंघा की संख्या बढ़ेगी। बाड़ा से जंगल में छोड़े जाएंगे।
बोमा का निरीक्षण कर बनाई रणनीति :
बता दे कि 11 फरवरी को समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों व विषय विशेषज्ञों द्वारा बारासिंघा केप्चर के लिए विशेष रूप से निर्मित बोमा का निरीक्षण किया गया एवं बारासिंघा केप्चर की रणनीति तैयार की गई। जिसके बाद 13 फरवरी की सुबह 8 बजे केप्चर प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई। करीब 10 बजे बारासिंघा केप्चर की प्रक्रिया पूर्ण की गई एवं बारासिंघा को विशेष रूप से निर्मित परिवहन ट्रक में बांधवगढ़ टायगर रिजर्व की ओर वन्यप्राणी चिकित्सक, कान्हा एवं बांधवगढ़ रेस्क्यू दल की देखरेख में रवाना किया गया। इस दौरान फील्ड डायरेक्टर एसके सिंह, डिप्टी डायरेक्टर कान्हा पुनीत गोयल, डिप्टी डायरेक्टर बांधवगढ़ पीके वर्मा, डॉ संदीप अग्रवाल, आरओ सरही की टीम उपस्थित रही।
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