बाराबंकी जिले की।ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर का होगा जीर्णोद्धार

in #barabanki2 years ago

बाराबंकी शहर का हृदय कहां जाने वाला ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर के जीर्णोद्धार और अतिक्रमण से निजात मिलने की उम्मीद है। शासन प्रशासन की सहमति के बाद आज यहां नवाबगंज एसडीएम ने व्यापारियों और नगर पंचायत के सभासदों की मौजूदगी में नारियल तोड़कर घंटाघर के जीर्णोद्धार का शुभारंभ किया। आपको बता दें कि यह घंटाघर बाराबंकी शहर के मध्य अंग्रेजों के समय में बनाया गया था। अतिक्रमण और रखरखाव के चलते हैं यह घंटाघर अब अपना अस्तित्व खो रहा था। एक समय था कि इस घंटाघर के आसपास इतनी चौड़ी सड़क थी की एक साथ दो ट्रक इस पर चले जाएं। पर जैसे-जैसे समय बीता और आबादी बढ़ी उसके साथ शहर में स्थित ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर अतिक्रमण का शिकार होता गया। जिसको अब फिर से जीर्णोद्धार किया जाएगा। जिसके लिए आज यहां नवाबगंज एसडीएम सुमित यादव ने नारियल तोड़कर शुभारंभ किया।

वीओ-बाराबंकी का घंटाघर आम लोग और वाहनों के शहर में पहुंचने के लिए प्रवेश द्वारा का काम करता है। इसका निर्माण पत्थरों के चाप के रूप में किया गया है। और इस पर लगी घड़ी में भारतीय मानक समय दिखाया जाता है। साथ ही यह शहर का एक प्रमुख लेंडमार्क भी है। इनपर पत्थरों से उकेरी गई खूबसूरत आकृति और नक्काशी लोगो का ध्यान अपनी ओर खींचती है। लेकिन शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते यह घंटाघर अपना अस्तित्व खो रहा था। जिसको अब फिर से जीर्णोद्धार किया जाएगा।

वीओ- अस्सी के दशक में इस घंटाघर के आसपास इतनी चौड़ी सड़क थी की एक साथ दो ट्रक इस पर चले जाएं। पर जैसे-जैसे समय बीता और आबादी बढ़ती गई उसके साथ-साथ शहर में स्थित ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर अतिक्रमण का शिकार होता गया। आज हाल यह है कि इसके आसपास पैदल निकलना भी मुश्किल है। घंटाघर के दो दरवाजों में अतिक्रमणकारी अपनी दुकानें बनाए हुए हैं। वहीं इसी के सामने बिजली विभाग ने ट्रांसफार्मर लगा इसे और बदसूरत बना दिया गया है। वहीं हफ्ते में 2 दिन यहां सट्टी बाजार लगती है। उस समय तो इधर कोई जाना ही नहीं चाहता। बाजार को छोड़कर आम दिनों में जब शहर की बाजार न हो तब भी इस घंटाघर के आसपास हमेशा जाम ही लगा रहता है। जिससे अब निजात मिलने की उम्मीद है।IMG-20220424-WA0062.jpg