माता-पिता की सेवा ही ईश्वर की सच्ची भक्ति पंडित उमा शंकर शास्त्री

in #banwar2 years ago

IMG-20220522-WA0019.jpgबनवार दमोह संस्कारी जीवन जीने वाला दुखी नहीं रहता
भगवान की लीलाओं में छिपी है सामाजिक क्रांति
मानव काे जीवन निर्माण के मार्ग में प्रशस्ति के लिए मिला है। कर्तव्य कर्म में आरूढ़ होकर भगवद् भक्ति के माध्यम से इस तन का उद्धार करें। मनगंवा घाट शारदा मंदिर में भागवत कथा के पंचम दिवस श्रीमद् भागवत कथा का महत्व की कथा सुनाई
कथा व्यास ने कहा कि कहा संस्कार विलुप्तता के कगार में पहुंच गई है और पाश्चात्य सभ्यता ने पांव पसार लिया है। पूर्व काल में जिन माता-पिता को भगवान मान कर पूजन किया जाता था, आज उन्हीं को बच्चे बोझ समझने लगे हैं। जैसे ही माता-पिता बुजुर्ग होते हैं, बच्चे उनकी सेवा करने की बजाय वृद्धाश्रम में डाल देते हैं। उन्होंने ने कहा कि माता-पिता ही भगवान हैं। मंदिरों में जाकर पाषाण की मूर्तियों पर लाखों रुपए का दान करने का कोई अर्थ नहीं है। यदि घर में माता-पिता भूखे बैठे हैं तो उनकी सेवा करें। सेवा ही जीव का निज धर्म है। संत ने कहा कि भगवान के चरणों मे जीव का सभी रिश्ता स्वीकार्य है। भगवान ने गीता में वचन दिया है जो मुझे जिस भाव से ध्यान करता है मैं उसे उसी भाव मे प्राप्त होता हूं। चाहे वह बैर भाव ही क्यों न हो। कथा के दौरान गिरिराज पूजन छप्पन भोग प्रसाद वितरण किया गया भव्य धार्मिक आयोजन में पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी विनोद राय सत्येंद्र अनिकेत दुबे नवल लोधी राजेश लोधी सहित भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शामिल होकर धर्म लाभ अर्जित किया