शिवलिंग से सटी 109 प्रतिमाएं गुमनामी के अंधेरे में कैद

in #banwar2 years ago

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जबेरा
नोहलेश्वर शिव मंदिर नोहटा से एक किमी की दूरी पर अति प्राचीन शिवलिंग को नोहलेश्वर महादेब मन्दिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा के द्वारा करवाया गया था। 10वीं शताब्दी के कलचुरी साम्राज्य की स्थापत्य कला का एक बेजोड़ एवं महत्वपूर्ण स्थान है। नोहलेश्वर मंदिर ऊंचे चबूतरे पर बना है।
जिसमे पंचरथ गर्भगृह अंतराल मंडप, मुख मंडप आदि भाग हैं। गर्भगृह में अति प्राचीन शिवलिंग हैं। जिसके पास पुरातत्व महत्व की मूर्तियां रखी हुई हैं। शिवलिंग से सटी हुई 109 प्रतिमा हैं जिसमें नोहटा मंदिर की 14 प्रतिमाएं हैं। वहीं 95 प्रतिमाएं फुटेरा जलाशय सहित अन्य स्थानों से लाई गई पुरातत्व महत्व की हैं, जिन्हें मूर्ति संग्रहालय के अभाव में सुरक्षा की दृष्टि से वर्षो से शिवलिंग की संकीर्ण जगह में ठूंसठूंस कर अव्यवस्थित तरीके से रखा गया। बताते है नोहटा मंदिर का गर्भग्रह ही एक मात्र स्थान है जहां पर शिवलिंग विराजमान लेकिन मूर्ति संग्रहालय के आभाव में मूर्ति के उपर मूर्ति को रखा गया है। जहां पर्याप्त रोशनी नहीं होने से पुरातत्व महत्व की प्रतिमाएं गुमनामी व अंधेरे में एक पत्थर की तरह पड़ी हुई है और खंड-खंड हो रही है, क्योंकि लोगों की नजरों से सदैव ओझल रहती है। मंदिर में पुरातत्व महत्व की प्रतिमाएं तो जिले भर से भेजी जाती हैं लेकिन मूर्ति रखने का उचित स्थान विकसित करने के उद्देश्य से पुरातत्व संग्रहालय बनाए जाने की मांग और वर्षो से पुरातत्व विभाग अनदेखी कर रहा है।