मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लेने के बाद भी नहीं सुधरी अस्पताल की व्यवस्था
जयप्रकाशनगर (बलिया ) ।देश से लगायत प्रदेश तक में जेपी के अनुयायियों की कमी नहीं है ।यही नहीं उनके द्वारा देश स्तर से प्रदेश स्तर तक उनके नाम से जुड़े तमाम तरह की योजनाओं को संचालित कराया गया ।लेकिन उनके पैतृक गांव जयप्रकाश नगर में बीते समय में देश से लगायत प्रदेश तक कि तमाम हस्तियों आगमन हुआ ।लेकिन उनके गाँव में जो उनकी इच्छा थी उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए । हाँ आज भी जेपी के विचारों उनके सिद्धांतो का बखान कर करने वालों की कमी नहीं है । लेकिन उनके गांव की मात्र स्वास्थ्य सुविधा की बात करें तो सबसे जर्जर हाल में है। सबसे बड़ी बात यह कि सिताबदियारा के बाशिंदों के स्वास्थ्य की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए अपने गांव के इस अस्पताल को लेकर जेपी ने 1973 में पत्र लिखा था, उस पर आज तक किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जेपी ने इस अस्पताल में किसी कक्ष का नाम अपनी पत्नी प्रभावती देवी के नाम पर करने को पत्र लिखा था।
अस्पताल की पुराने भवन के जर्जर होने के बाद यहां नए सीएचसी भवन का निर्माण लगभग दो करोड़ की लागत से 2016 में पूर्ण हुआ, लेकिन सुविधाएं बढ़ाने की ओर स्वास्थ्य महकमा आज तक गंभीर नहीं है। अस्पताल में पानी की व्यवस्था भी नहीं है। अस्पताल परिसर में बनी पानी टंकी बनने के समय से ही लिकेज करनी लगी। उसके बाद भी संबंधित ठीकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। बड़ी बात यह भी कि अस्पताल में न एंटी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था है और न ही टीटी के इंजेक्शन। आज तक एक फ्रिज भी विभाग की ओर से मुहैया नहीं कराया गया है।
अस्पताल के मानक के अनुसार क्या है क्या नहीं
- 30 बेड की जगह करीब 10 बेड
-11 चिकित्सक के स्थान पर दो चिकित्सक जिसमे एक चिकित्सक सप्ताह में तीन दिन - फार्माशिस्ट 03 के स्थान पर 03 नियुक्त
-03 नर्स के स्थान पर एक भी नहीं
-05 वार्ड ब्वाय के स्थान पर 01 - 01 स्वीपर कम चौकीदार के स्थान पर कोई नहीं
- डार्क रूम सहायक नियुक्त लेकिन एक्सरे मशीन उपलब्ध नहीं
- जांच के लिए दो मशीन उपलब्ध लेकिन उससे सम्बंधित लैब टेक्नीशियन या लैब सहायक उपलब्ध नहीं
--अपने पत्र में लिखे थे जेपी
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने अपने गांव के अस्पताल को लेकर 31 अक्टूबर 1973 को पत्र लिखे थे। जिसमें अस्पताल का नामकरण पत्नी प्रभावती देवी के नाम करने का आग्रह किया था। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। दलजीत टोला में लोगों ने इस अस्पताल के निर्माण जमीन दान दी और 50 हजार की आबादी के बीच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू किया, लेकिन जेपी की इच्छा फाइलों में ही दबी रह गई।
जेपी के पत्र के अंश
1973 में अपने निजी सचिव जगदीश भाई को जेपी ने एक पत्र लिखा था। लिखा था कि आदरणीय जगदीश भाई, मैनेजर सिंह (तब के विधायक) से कहिएगा कि वह अस्पताल का जब नक्शा भेजें तो उसके साथ यह कोटा भी हो कि कौन भवन, कमरा या हाल वैगरह किस काम के लिए बनाया जाएगा। यह भी पूछवाइएगा कि प्रभावती जी (जेपी की पत्नी) का नाम अस्पताल के किसी अंश में रखा जा सकता है या नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार इस पर राजी होगी या नहीं।
18 जून 2020 को बलिया आगमन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया था संज्ञान
18 जून 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बलिया आगमन पर इस अस्पताल का मुद्दा उठा था। उसके बाद ही तत्कालीन सीडीओ प्रवीण वर्मा और तत्कालीन सीएमओ डा. राजेंद्र प्रसाद ने अस्पताल का निरीक्षण कर सुविधाएं बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन उनके निरीक्षण के बाद भी अस्पताल में आज तक कोई बदलाव नहीं दिखा जबकि तत्काल रूप से उस समय आश्वस्त किया गया कि एक एम्बुलेंस यहां के लिए स्थाई रहेगी वह एक दिन के लिए आई भी उसके बाद उसका पता आज तक नहीं चला ।
जयप्रकाश नगर स्थित सीएचसी की व्यवस्थाओं की कमियों को दूर करने के लिए मैं अपने उच्चाधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत करा चुका हूँ ।यहां की व्यवस्था बहुत जल्द दुरुस्त हो जाएगी ।
डा. देवनीति सिंह ,प्रभारी चिकित्साधिकारी ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ,मुरली छपरा ,बैरिया ,बलिया