बाढ़ से तबाह होता है किसान वही माला माल होता है ठेकेदार व सम्बंधित विभाग

in #ballia2 years ago

जयप्रकाश नगर (बलिया ) ।दशकों पूर्व से द्वाबा क्षेत्र की जनता गंगा व सरयू नदी के बाढ़ की भयावह आपदा और कटान की तबाही के मंजर को झेलती चली आ रही है । इन दोनों नदियों के होने वाले तांडव से प्रति वर्ष कोई बर्बाद होता है तो वह है किसान। वहीं इस तबाही से बचाने के नाम पर मालामाल होता है तो वह हैं ठिकेदार और सम्बंधित विभागीय तंत्र। यह दास्तां किसी और की नहीं, बल्कि उन किसानों की है, जो गंगा नदी में अपना कृषि योग्य भूमि गवां चुके है तो वही सरयू नदी के कटान के तांडव में अपनी पूरी कृषि योग्य भूमि व आशियाना गवां कर अब भूखमरी के चौखट पर आ खड़े हुए हैं। जेपी के सिताबदियारा क्षेत्र में फिर एक बड़ी दास्ता लिखने को तैयार है घाघरा व गंगा नदी ।बीते दस दिनों से कच्छप गति से दोनो नदियों के जलस्तर में कभी घटाव तो कभी बढ़ाव दर्ज हो रहा है ।जिससे क्षेत्रीय लोगों को फिर इस वर्ष बाढ़ आने की आशंका बनती जा रही है ।
विकास खण्ड मुरली छपरा क्षेत्र के गंगा नदी के चपेट में आने वाले पूर्वो में कोडरहा नौबरार के तीन पूर्वे व वही सरयू नदी के चपेट में इब्राहिमाबाद नौबरार के पांच पूर्वे व चाँददीयर के करीब आधा दर्जन पूर्वे की करीब 2पच्चीस हजार आबादी जलमग्न हो जाती है तो वही बांध के भीतर तरसोत के पानी से दर्जनों गाँवो के सैकड़ो किसानों द्वारा बोई गई करीब एक हजार एकड़ की खड़ी फसल डूबकर बर्बाद हो जाती है ।जिसका कोई पुछनहार नहीं होता है । सरकार की तरफ से इन बाढ़ पीड़ितों को बचाने के नाम पर दशकों पूर्व से प्रति वर्ष करोड़ो रूपये खर्च जरूर किये जाते है ।जिससे ठेकेदार ,सम्बंधित विभाग के लोग मालामाल तो वही किसान कंगाल हो जाते है । यह कोई नई बात नही किसान यह त्रासदी हमेशा बाढ़ के समय झेलते है और सरकारी अमला हमेशा यह कहता है कि सूची बनाकर हुई फसलो के नुकसान का मुवावजा निश्चित दिया जाएगा ।लेकिन ऐसा कभी नही होता और किसान लाचार और बेबस होकर कहीं कमाने के लिए पलायन कर जाते हैं, या आस-पास के अन्‍यत्र इलाके में सिकमी तौर पर किसी दूसरे के खेत लेकर खेती कर अपनी जीविका चलाते हैं। किंतु इसका असर किसी पर भी नहीं होता, और न ही कटान व बाढ़ का कोई स्‍थाई निदान ही हो पाता है। हर साल यह कटान व बाढ़ का सिलसिला मई-जून से शुरू होता है और इस पर सरकार करोड़ो रूपये खर्च करती है ।लेकिन निदान कुछ नही और इस धन का न कोई जांच का डर, न मौके पर ही कुछ मौजूद मिलता है। किसी भी सवाल के लिए विभागीय एक जबाब सभी कार्यों पर पर्दा डाल देता है कि कार्य तो हुआ ही, अब सरयू का तेवर ही ऐसा हो गया, तो हम क्‍या करें ? मसलन किसानों की बर्बादी का सिलसिला लगातार जारी रहता है।

वर्षो पूर्व से ये पूर्वे होते चले आ रहे बाढ़ से प्रभावित

जयप्रकाश नगर ।क्षेत्र के गंगा व सरयू नदी के जलस्तर में जब जब बृद्धि होती है तो विकास खण्ड मुरली छपरा क्षेत्र के भगवान टोला ,हरिजन बस्ती ,पूर्वी भवन टोला गंगा के चपेट में तो वही घाघरा नदी के चपेट में बैजनाथ के डेरा ,पियारी टोला ,टोला फतेह राय के ,बकुल्हा पूर्वी ,बकुल्हा पच्छिमी ,चक्की चाँददीयर ,पलटू नगर ,लोहा टोला ,श्रीपालपुर के डेरा ,शिवदत्त पांडेय का टोला ,रमेश्वर टोला ,दलेल टोला ,बड़का सुफल टोला ,सहित अन्य पूर्वे की करीब पच्चीस हजार की आबादी पूरी तरह जलमग्न हो जाती है वही इन बाशिंदों के साथ साथ इनके पशुओं के चारा की भी बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाती है
इनसेट -
जयप्रकाश नगर ।।क्षेत्र के ग्राम प्रधान विनोद यादव , बीरेंद्र यादव ,राजकिशोर यादव , ,हरेन्द्र यादव ,अमर नाथ यादव ,सूर्यनाथ यादव ,विदेशी यादव संजय यादव की माने तो सरकार द्वारा वर्षो से बाढ़ व कटान के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च किये गए लेकिन हम क्षेत्रवासियों को इन दोनों नदियों के प्रकोप से आज तक मुक्ति नही मिल पायी ,पुनः इस वर्ष भी लग रहा है कि वह दिन देखना ही पड़ेगा ।जबकि इस वर्ष भी बाढ़ विभाग द्वारा इस नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके है ।

वर्जन -

इस वर्ष बीएसटी बांध को सरयू नदी के कटान से पूर्ण रूप से कटाव रोधी कार्य करवाकर सुरक्षित कर दिया गया है ।वही बाढ़ से निजात दिलवाने के लिए सरकार द्वारा रिंग बांध का निर्माण कार्य काफी तेजी से किया गया लेकिन अभी अपूर्ण है जो बहुत जल्द पूरा कराया जाएगा ।ताकि सिताबदियारा के लोग बाढ़ से भी स्थाई रूप से सुरक्षित हो जाएं ।

संजय कुमार मिश्रा ,एक्सईएन ,बाढ़ खण्ड ,बलिया