बलिया के स्वास्थ्य महकमे में एक बार फिर बड़ा खेल

in #ballia2 years ago

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चितबड़ागांव के एक निजी स्टोर में कि अस्पताल उपकरण रखे जाने का मामला सुर्खियों में

बलिया। स्वास्थ्य विभाग बलिया आकंठ डूबे भ्रष्टाचार की वजह से हमेशा चर्चाओं में बना रहता है। बीते दिनों स्टोर में रखा जाने वाला सामान चितबड़ागांव के एक निजी स्टोर में रखे जाने का मामला सुर्खियों में है। लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है। विभाग की इस लापरवाही से शासन के लोग भी अनभिज्ञ नहीं है। अब देखना है कि इस प्रकरण के आरोपियों पर कौन सी दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है।
विगत दिनों पीएचसी और सीएचसी पर मेडिकल उपकरण की डिलीवरी चर्चा का विषय बनी हुई है। जिसमे भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर की गई है।
पूरा मामला कुछ इस तरह है कि सीएचसी और पीएचसी द्वारा इंडेट द्वारा भेजी गई मांग के आधार पर स्टोर और सीएमओ के समन्वय से जेम पोर्टल से सामानों की खरीददारी की जाती है। खरीदा गया सामान सीएमएसडी स्टोर पहुंचने के बाद सीएचसी पीएचसी को सप्लाई किया जाता है। लेकिन वर्तमान सीएमओ और स्टोर के इंचार्ज डॉक्टर वीरेंद्र प्रसाद की मिलीभगत से सारे नियम कानून को धता बताकर खरीददारी होती है और सामान चितबड़ागांव के मानपुर में एक तिवारी जी के घर रखा जाता है। केंद्रीय स्टोर में तैनात चीफ फार्मासिस्ट अरुण सिंह को इस बात की कानोकान खबर तक नहीं हो पाती है और सामान को सीएचसी, पीएचसी पर भेजना शुरू किया जाता है। जब सीएचसी पीएचसी के लोग स्टोर में तैनात फार्मासिस्ट अरुण सिंह से बात करते है तो उनके द्वारा स्पष्ट कर दिया जाता है की सामान स्टोर से नहीं भेजा गया है। ऐसे में कई सारे सवाल खड़े होते है। जिनका जवाब हर कोई जानने के उत्सुकता जाहिर कर रहा है।
सवाल नम्बर एक:
चितबड़ागांव में गोदाम बनाने को विभाग ने कब और किस समाचार पत्र में विज्ञापन दिया गया।
सवाल नम्बर 2.गोदाम पहुंचे सामान के साथ संलग्न पेपर्स में आपूर्तिकर्ता द्वारा सप्लाई की बात लिखे होने के बावजूद उसपर दस्तखत स्टोर कीपर पारसनाथ राम और डॉ वीरेंद्र प्रसाद द्वारा कैसे किया गया।
सवाल नम्बर 3.बिना स्टोर पहुंचे सामान की बिल का सत्यापन कैसे हुआ।
सवाल नम्बर 4.भ्रष्टाचार के आरोप में गले तक डूबे हुए स्टोर कीपर पारसनाथ राम जिनका पिछले कार्यकाल में शासन के आला अफसरों द्वारा सस्पेंशन किया जा चुका है और वर्तमान समय में सीडीओ प्रवीण वर्मा द्वारा की गई जांच में दोषी सिद्ध हो चुके कर्मचारी, जिसकी रिपोर्ट अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं तक भेजी जा चुकी हो वो इतनी महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी किस प्रकार निभाने में शामिल हो सकता है।
सवाल नम्बर 5.भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड होने के बाद दुबारा बहाल होने पर पारसनाथ को पुनः उसी जगह और उसी पद पर किन नियमों के तहत बहाल किया गया।
सवाल नम्बर 6.न्यायालय में एफिडेविट देकर पारसनाथ को इसकी जिम्मेदारी ना देने की सूचना देने के बाद भी अरुण सिंह को इस सारे कार्य से अनभिज्ञ क्यों रखा गया।
सवाल नम्बर 7: सीएचसी और पीएचसी पर पहुंचने वाले समान में आठ सितंबर की तारीख क्यों अंकित है। जबकि चिकित्सालयों के उपकरणों व सामानों की खेप 28 सितंबर को पहुंचा।
सवाल नम्बर 8: सीएमओ बलिया अपने आधिकारिक बयान में चितबड़ागांव में स्थित गोदाम को अपना गोदाम किन नियमों के तहत बता रहे है।
सवाल तो अनगिनत है परंतु आम जनता सीएमओ बलिया, एसीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र प्रसाद, स्टोर कीपर पारसनाथ की तिकड़ी से चलने वाले इस खेल के बारे में जानने को इच्छुक है।
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे ब्रजेश पाठक के कार्यकाल में चल रहे इन घोटालों पर एक नजर जरूरी है। हालांकि सूत्रों की माने तो बलिया में किये गए उपकरण घोटाले की खबर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक तक पहुंच चुकी है। इस खेल में शामिल अफसरों व कर्मचारियों पर किस प्रकार की कार्रवाई की जा रही है। यह समय के गर्भ में है। वहीं इस प्रकरण के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मची हुई है ।