नई ऊर्जा धारण करने का महापर्व है नवरात्र

in #ballia-news2 years ago

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बलिया I भारतीय संस्कृति आनन्द, उल्लास,चिंतन व सामाजिक समरसता के उत्सवों से अनुप्रमाणित रही है। विविधता में एकता इस संस्कृति की पहचान रही है। मां दुर्गा को प्रकृति स्वरूप कहा गया है। प्रकृति महाशक्तिशाली होती है। इसलिए उन्हें शक्ति स्वरूपा भी कहा गया है I दुर्गा सप्तशती में हमारी आंतरिक प्रकृति के रूपों शक्ति, दया, लज्जा, बुद्धि आदि के रूप में मां का स्तवन किया गया है। राजगुरू सेवा संस्थान के संयोजक अध्यात्मवेता पं०भरत पाण्डेय ने बताया कि शक्ति मां दुर्गा के प्रत्येक मंत्र में होती है। श्रीमद देवी भागवत में नवरात्र के महत्व को बताया गया है। उसके अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्र होते है जो चैत्र, आषाढ़,आश्विन तथा माघ महीनों की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नौ दिन तक चलते है। इनमें चैत्र (वासंतिक) व आश्विन (शारदीय) के नवरात्र प्रमुख है। जबकि आषाढ़ व माघ के नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। उन्होंने बताया कि नवरात्र अर्थात नौ रातों की नौ ही क्यों ? भारतीय दर्शन में 108 का अंक अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसका कारण यह है कि सौर मार्ग को 27 बराबर भागों में बांटा गया है जिसे नक्षत्र कहते हैं। प्रत्येक नक्षत्र को चार बराबर पदों में बांटा गया है।

इसका गुणनफल 108 होता है। इस प्रकार माला का 108 मनकों के जाप सौर मार्ग की परिक्रमा पूरी करने का प्रतीक है।108 की सभी संख्याओं का जोड़ नौ होता है। इस नौ के अंक की विशेषता यह है कि इस अंक की किसी भी संख्या से गुणा किया जाए तो गुणनफल की संख्याओं का योग नौ ही आएगा। इस प्रकार अंक नौ पूर्णता का प्रतिनिधित्व करता है। पूर्ण कौन है मात्र ईश्वर ही पूर्ण है। इसलिए नौ का अंक ईश्वर का प्रतिनिधित्व करता है।

नवरात्र का पर्व हमारे लिए स्वयं को धो पोछकर नवीन ऊर्जा को धारण करने योग्य बनाने का एक धार्मिक किंतु अत्यंत वैज्ञानिक उपक्रम है। मां दुर्गा की उपासना का एक मर्म यह भी है कि हम अपनी भीतरी प्रकृति को उन्नत बनाएं और बाहरी प्रकृति को पूरा सम्मान दें। उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्र में भी साधक शक्तिपीठों तथा देवी मंदिरों में पूजन अर्चन करता है। दुर्गा उपासना में नर्वाण मंत्र की प्रधानता है। ' ऊं ऐं हीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ' यह मंत्र न केवल अक्षर विन्यास मात्र है। इससे संपूर्ण शक्तियों का बोध होता है। मंत्र का अधिकतम जप पूर्ण शक्ति देने में सहायक है।