कैंडिडेट को लेकर फिर चौंकाने की तैयारी में BJP, इन नामों की हो रही चर्चा

in #bali2 years ago

राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार को लेकर विपक्ष की तरफ से तो कई नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन सत्ता पक्ष ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। साल 2017 में भी जब भाजपा की तरफ से बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए बतौर उम्मीदवार घोषित किया गया तो लोग चौंक गए थे।
बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं की एक बैठक की, जिसमें कांग्रेस के लोग भी शामिल थे। एक संयुक्त राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामों पर चर्चा करने का फैसला किया। आप (दिल्ली और पंजाब), टीआरएस (तेलंगाना), वाईएसआरसीपी (आंध्र प्रदेश), शिअद (पंजाब) और बीजद (ओडिशा) जैसी पार्टियों में से कोई भी आमंत्रण के बावजूद बैठक में शामिल नहीं हुई।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वामपंथी विचार-विमर्श का हिस्सा जरूर थे, लेकिन ममता बनर्जी के एकतरफा कार्यों से खुश नहीं हैं। बैठक में दो नामों का सुझाव दिया गया है। पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के नाम पर बैठक में चर्चा हुई।
दूसरी तरफ, सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खेमे के बारे में ज्यादा बात नहीं की जा रही है, जिसका चुनाव जीतना लगभग तय है। 21 जुलाई को नतीजे घोषित किए जाएंगे। वर्तमान सियासी स्थिति को दखते एनडीए बनाम विपक्ष से ज्यादा एनडीए के संभावित नामों की चर्चा अधिक हो रही है।

2002 में एनडीए ने एपीजे अब्दुल कलाम को भारत के राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया। इस कदम ने विपक्षी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (उत्तर प्रदेश) और टीडीपी (आंध्र प्रदेश) जैसे क्षेत्रीय दलों को स्तब्ध कर दिया था। इन्होंने अंततः देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए भारत के “मिसाइल मैन” का समर्थन किया। उनमें ममता बनर्जी भी शामिल थीं।
राष्ट्रपति चुनाव: कांग्रेस चूक रही है मौका, गैर हिन्दी राज्यों के विपक्षी नेताओं की बढ़ी सक्रियता

अब्दुल कलाम तमिलनाडु से ताल्लुक रखते थे और राज्य की दो मुख्य पार्टियों अन्नाद्रमुक और द्रमुक के पास उनका विरोध करने का कोई कारण नहीं था। एकमात्र अपवाद वामपंथी थे जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मी सहगल को मैदान में उतारा जो एकतरफा मुकाबले में हार गईं।

हाल ही में, 2017 में पिछले चुनाव के दौरान एनडीए ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल और लो-प्रोफाइल दलित नेता राम नाथ कोविंद को चुनकर आश्चर्यचकित कर दिया। वह आसानी से चुनाव जीत गए। हमने देखा है कि कैसे भाजपा ने इस और ऐसे ही अन्य कदमों से दलित समुदाय के मतदाताओं के बड़े हिस्सों का समर्थन प्राप्त कर लिया है।
कौन होगा बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार?

एनडीए राष्ट्रपति चुनाव में कोविंद को दोहरा सकता है या हमें एक और आश्चर्यजनक विकल्प के साथ आश्चर्यचकित कर सकता है। इसको लेकर कयासबाजी जारी है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि कर्नाटक के राज्यपाल और दलित नेता थावर चंद गहलोत, तेलंगाना के राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के नाम पर भी विचार किया जा सकता है।700f6cae864254f2373d1b27b075d455.webp

Sort:  

Good coverage

Thank you sir.

Good coverage

Thank you