आयुर्वेदिक अस्पताल के जर्जर भवन से लोगों को खतरा"

पीलीभीत 17 सितम्बर:(डेस्क)पीलीभीत के दातागंज क्षेत्र में आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति गंभीर होती जा रही है। वर्षों से जर्जर किराए के भवन में संचालित हो रहे इस अस्पताल में चिकित्सकों और मरीजों के लिए खतरा बना हुआ है। यहां रोजाना लगभग 50 मरीज उपचार कराने आते हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते अस्पताल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है।

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बरखेड़ा क्षेत्र के गांव ज्योरहा कल्यानपुर में 50 वर्ष पहले स्थापित आयुर्वेदिक अस्पताल को एक किराए के भवन में संचालित किया गया था। हालांकि, वर्षों बीत जाने के बाद भी यह अस्पताल उसी भवन में चल रहा है, जो अब जर्जर हो चुका है। भवन की दीवारों और लिंटर का प्लास्टर गिरने लगा है, जिससे यहां आने वाले मरीजों और चिकित्सकों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

अस्पताल के आसपास की स्थिति भी चिंताजनक है। कच्ची जमीन से हमेशा सीलन की बदबू आती रहती है और बारिश के दौरान भवन की छतें टपकती हैं। ऐसे में, बारिश के दिनों में न तो चिकित्सक यहां आ पाते हैं और न ही मरीज आने की हिम्मत जुटा पाते हैं।

इस आयुर्वेदिक अस्पताल में इमलिया, फूटा कुंआ, बरगदा, सिमरिया ताराचंद, मचवाखेड़ा, डंडिया राधे, खजुरिया पचपेड़ा, अमखेड़ा लखनऊ, काजरबोझी, लखाखास, दौलापुर समेत करीब 25 गांवों के हजारों मरीज उपचार कराने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में, अस्पताल की जर्जर स्थिति ने स्थानीय निवासियों को चिंता में डाल दिया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो भविष्य में मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि वे इस अस्पताल की स्थिति को सुधारने के लिए तुरंत कदम उठाएं और इसे एक सुरक्षित स्थान बनाएं।

इस मामले में विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। वर्षों से चल रहे इस संकट को नजरअंदाज करना समझ से परे है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि वे अपने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण चाहते हैं, जो वर्तमान में संभव नहीं हो पा रहा है।

आयुर्वेदिक अस्पताल की इस जर्जर स्थिति ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार केवल योजनाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे वास्तविकता में लागू करने की आवश्यकता है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस दिशा में क्या कदम उठाता है ताकि स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और उनकी जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।