राम वनगमन का दृश्य देख नम हुईं आंखें

in #ayodhya2 years ago

श्रीराम लीला समिति चौक के तत्वावधान में पांचवें दिन राम वनगमन प्रसंगों का मंचन किया गया। जीवंत व मार्मिक मंचन देख पंडाल में मौजूद दर्शकों की आंखें नम हो गईं।

मंचन की शुरुआत राजा दशरथ के अपने पुत्र व पुत्रवधू सहित वापस अयोध्या लौटने से होती है। इस दौरान समूचे नगर में उत्साह का माहौल होता है। राजा दशरथ अपने मंत्रियों से मंत्रणा करते हैं। राम को राजगद्दी सौंपने का विचार करते हैं। सभी इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं। इससे देवलोक में देवताओं की चिंता बढ़ जाती है। चर्चा होती है कि भगवान राम का धरती पर जिस उद्देश्य के लिए जन्म हुआ है, वह तो नहीं हो पा रहा है। ऐसे में देवताओं के अनुरोध पर मां सरस्वती दासी मंथरा व रानी कैकेई के विचारों को फेर देती हैं।एक तरफ जहां समूची अयोध्या में राम के राज्याभिषेक को लेकर खुशी का माहौल होता है, वहीं दूसरी तरफ रानी कैकेई राजा दशरथ से अपने दो वर मांगकर सभी की खुशियों पर पानी फेर देती हैं। रानी कैकेई राजा दशरथ से राम को 14 वर्ष के लिए वनवास व अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्दी मांगती हैं। वचनबद्ध होने के कारण राजा दशरथ रानी कैकेई के आगे विवश हो जातेे हैं।
इसके बाद पिता की आज्ञा लेकर भगवान राम पत्नी सीता व छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन के लिए प्रस्थान करते हैं। समूची अयोध्या में शोक की लहर छा जाती है। भगवान राम के प्रति अयोध्यावासियों के अगाध प्रेम भाव को कलाकारों ने काफी मनमोहक व मार्मिक तरह से प्रस्तुत किया। रामलीला मंचन के सफल आयोजन में बजरंगी लाल सोनी, पप्पू यादव, राकेश कुमार मिश्र, सलिल अग्रवाल, अनिरुद्ध अग्रवाल व आकाश शाह आदि विशेष योगदान रहा।