भक्तों को भा रही मूषक की सवारी करते गजानन की मूर्तियां

in #ayodhya2 years ago

Jaggu1 ayodhya news:-ayodhya_1633683932.jpegअयोध्या। भगवान श्री गणेश चतुर्थी को लेकर पंडाल आदि की तैयारी की जा रही है। बाजारों में भी गणेश भगवान की तमाम सुंदर प्रतिमाएं दिखाई देने लगी हैं।

मूर्तिकारों के यहां अलग-अलग डिजाइन की प्रतिमाओं के आर्डर हैं तो दुकानों पर खरीदारों की खासी भीड़ है। मूषक की सवारी करते गजानन की मूर्तियां ज्यादा बिक रही हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा।
रामनगरी में गणेश चतुर्थी का उत्साह छलकने लगा है। शहर में 29 स्थानों पर गणेश प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा-अर्चना होगी। इसको लेकर बाजारों में भी चहल पहल बढ़ गई है।

मूर्तिकारों के यहां पंडालों के लिए डगरु सेठ, बाल गणेश, राजगद्दी और मूषक की सवारी करते गणेश की प्रतिमाओं की मांग अधिक है। प्रतिमाओं को तैयार करने के काम में कारीगर जुटे हैं।
यह प्रतिमाएं घरों और पंडालों के लिए तैयार की गई हैं जो एक से लेकर 10 फीट तक की हैं। इसी तरह बाजार में अधिकतम 15 हजार रुपये तक की प्रतिमाएं उपलब्ध हैं।
शहर के मूर्ति व्यावसायी गोपाल जायसवाल बताते हैं कि उन्हें अब तक करीब 30 प्रतिमाओं का आर्डर मिल चुका है। बड़ी प्रतिमा लोग पंडालों के लिए ले जा रहे हैं, जबकि घरों के लिए अधिकतम पांच हजार रुपये तक की प्रतिमा खरीद रहे हैं।

इसमें बाल गणेश व मूषक की सवारी करते गणेश की प्रतिमा खासी पसंद की जा रही हैं। कहा कि दो साल कोरोना के चलते बाजार प्रभावित रहा इस बार पिछले साल की अपेक्षा बाजार बेहतर है।
बाजार में मिट्टी के गजानन की मांग ज्यादा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस की अपेक्षा मिट्टी के गणेश की जी धार्मिक रूप से बड़ी मान्यता है। मिट्टी सहज उपलब्ध तो है ही, उसमें पाए जाने वाले गुण भी प्रकृति से मेल खाते हैं।
आचार्य शिवेंद्र बताते हैं कि शास्त्रों में वर्णित है कि जब भी कोई यज्ञ, अनुष्ठान होता है, वहां मिट्टी के ऊपर गाय के गोबर का लेपन किया जाता है। गोबर व मिट्टी में 16 प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं।
मिट्टी और गोबर मिश्रित गणेश की मूर्ति के पूजन से सहस्त्र गुना सुखद फल की प्राप्ति होती है। वहीं विज्ञान के अनुसार मिट्टी पानी में आसानी से घुल जाती है, जिससे प्रकृति को भी नुकसान नहीं होता।