35 दिन से छका रहा तेंदुआ पिंजरे में फंसा

in #ayodhya2 years ago

Jaggu1 ayodhya news:-ayathhaya-kata-kashhatara-ma-pakaugdha-gaya-tathaaa-savatha_1661798937.jpegअयोध्या। छावनी परिषद इलाके में 35 दिनों से घूम रहा तेंदुआ आखिरकार वन विभाग की पकड़ में आ गया। तेंदुआ मीरनघाट इलाके में लगे एक पिंजरे में बंधी बकरी का शिकार करने सोमवार भोर में करीब 3:05 बजे घुसा और उसमें कैद हो गया।

तेंदुए को पकड़ने के बाद वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई), लखनऊ चिड़ियाघर व स्थानीय वन विभाग के अधिकारी व कर्मियों ने राहत की सांस ली।
पकड़ा गया तेंदुआ वयस्क नर बताया जा रहा है, उसे बलरामपुर भारतीय-नेपाल सीमा पर स्थित सुहेलवा वन रेंज में छोड़ने के लिए भेजा गया है। यह तेंदुआ पहली बार 25 जुलाई को छावनी परिषद के महात्मा गांधी मार्ग मीरनघाट के समीप देखा गया था।

सक्रिय हुई वन विभाग की टीम ने घेराबंदी कर उसे आवासीय इलाके से जाने से रोक रखा था। छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी यशपाल सिंह ने चेतावनी जारी की थी।
इसमें वार्ड नंबर एक से पांच और सात तक रहने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा गया था। उसकी मौजूदगी से छावनी इलाके में लोगों में दहशत थी और वह समूह बनाकर ही घरों से निकल रहे थे।
इसको पकड़ने के लिए दुधवा नेशनल पार्क लखीमपुर खीरी से वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की पांच सदस्यीय टीम को बुलाया गया था। टीम को सफलता न मिलने पर बाद में लखनऊ चिड़ियाघर से विशेषज्ञों की एक टीम भी तेंदुए को पकड़ने के लिए डेरा डाले हुए थी।

उसे पकड़ने के लिए करीब 15 स्थानों पर पिंजरा व जाल लगाया गया था। उसकी गतिविधियों को ट्रैस करने के लिए वन विभाग के विशेष ट्रैप कैमरों का भी प्रयोग किया था।
दो दिन पहले तेंदुए ने छावनी परिषद की नई फायरिंग रेंज व मीरनघाट के पास लगाए गए एक पिंजरे में बंधी बकरी का बाहर से ही शिकार कर लिया था। इसके बाद टीम को उम्मीद थी कि तेंदुआ दोबारा यहां जरूर आएगा।
इसी के चलते इस पिंजरे में जाली लगाकर दोबारा शिकार बांधा गया था, और ऐसा ही हुआ। इसी पिंजरे में बंधी बकरी का शिकार करने के लिए सोमवार भोर में तेंदुआ दोबारा आया।
जाली लगी होने के कारण वह शिकार तक नहीं पहुंच पाया तो उसे अंदर घुसना पड़ा और पिंजरे में कैद हो गया। डीएफओ शितांशु पांडेय के अनुसार पकड़ा गया तेंदुआ वयस्क नर है, उसकी उम्र सात से आठ वर्ष के बीच लग रही है।
बताया कि तेंदुए को बलरामपुर भारतीय-नेपाल सीमा पर स्थित सुहेलवा वन रेंज में छोड़ने के लिए भेजवाया जा रहा है। तेंदुआ कहां से आया, इस सवाल पर बताया कि छावनी परिषद के पास करीब दो किमी. का वन रेंज है।
कुछ लोगों का कहना है कि यह इन्हीं जंगलों में रहता था। बारिश के समय वह निकलकर बाहर की तरफ आ गया था। बताया कि यह अभी पुष्ट नहीं है, इसकी जांच की जा रही है।
प्रभागीय वनाधिकारी शितांशु पांडेय का कहना है कि यदि तेंदुआ आदमखोर हो जाता तो वह बहुत खतरनाक हो जाता, लेकिन हमारी रणनीति के चलते ऐसा नहीं हो सका। तेंदुआ शिकार के लिए पिंजरे में नहीं घुस रहा था, यह चिंता का विषय था।
इसको लेकर हमने उसे भूखा रखने की रणनीति बनाई। इसके तहत वह जहां दिखता हमारी पेट्रोलिंग टीम वहां पहुंच जाती। इसके चलते वह शिकार नहीं कर पा रहा था।
दो दिन पहले जब उसने पिंजरे में बंधी बकरी का बाहर से शिकार किया तो हमें पूरी उम्मीद थी कि वह यहां दोबारा आएगा और ऐसा ही हुआ। बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दिशा निर्देश के अनुसार उसे बिना नुकसान पहुंचाए पकड़ने का प्रयास किया गया जो सफल रहा।
बताया कि पकड़े जाने के बाद उसके स्वास्थ्य की जांच लखनऊ चिड़ियाघर से आए डॉ. विजेंद्र और अयोध्या के उपमुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. भानु प्रताप पाठक ने की।