औरैया के अयाना कस्बे में आचार्य सुशील जी ने श्रद्धालुओं को सुनाई राजा परीक्षित की कथा
अयाना। कस्बे के बड़ी माता मंदिर के पास आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य सुशील कुमार शुक्ला ने राजा परीक्षित की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि जब मनुष्य प्रत्येक वस्तु या प्राणी में ईश्वर को देखता है तो अन्याय, अनीति, अत्याचार व अपमान करने से बचता है। उसमें दया और सद्भाव के गुण आते हैं। वह काम, क्रोध, लोभ, मोह से मुक्त होकर ईश्वरीय शक्ति को प्राप्त करता है। राजा परीक्षित जी महाराज ने तपस्या में लीन मुनि के गले में मृत सर्प डालकर उनका अपमान किया था। जिस पर क्रोधित होकर श्रृंगी ऋषि ने परीक्षित जी महाराज को 7 दिन में मरने का श्राप दे दिया था। राजा परीक्षित द्रवित होकर अपना घर-परिवार व राज्य छोड़कर शुकदेव मुनि की पावन शरण स्वीकार की थी। शुकदेव जी ने परीक्षित को श्रीमद्भागवत महापुराण के माध्यम से भागवत कथा का मार्मिक ज्ञान करवाकर उनका उद्धार करवाया। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में अनीति, अत्याचार व किसी का अपमान नहीं करना चाहिए वरना उसको इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। इस दौरान परीक्षित राजमोहन मिश्रा, निशा मिश्रा, बृजमोहन मिश्रा, शीलनिधी सेंगर, सत्यनारायण दुबे, प्रदीप चौहान, पुष्पराज मिश्रा मोनू सिंगर छत्रपाल सिंह ललन चौबेआदि लोग मौजूद रहे। संवाद