औरैया-जनपद में डीपीटी या पेंटा टीकाकरण में हुआ इजाफ़ा

in #auraiya2 years ago

टीकाकरण की अहमियत समझने लगे जनपदवासी
डिप्थीरिया (गलघोंटू) से बचाव को जरूरी है नियमित टीकाकरण
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औरैया, 29 अगस्त 2022 |
जनपदवासियों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। यह साबित होता है नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण (एनएफएचएस) -5 की रिपोर्ट से । नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण 4 (2015-16) के अनुसार 12 से 23 महीने के 57.5 प्रतिशत बच्चों को डीपीटी या पेंटा का टीका लगा था जो एनएफएचएस 5 (2019 -21) के अनुसार बढ़कर 89.4 प्रतिशत हो गया है |
डीपीटी वैक्सीन शिशु को डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस जैसे संक्रामक रोग से बचाव करने के लिए उपयोग की जाती है । यह वैक्सीन बच्चों को रोगो से लड़ने के लिए तैयार करती है। यह ऐसे संक्रामक रोग होते हैं जिसके कारण शिशु के जान का जोखिम बना रहता है । यह टीका बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि डिप्थीरिया (गलघोंटू) एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमण से फैलती है, यह अधिकतर बच्चों को होती है । संक्रमण से फैलने वाली यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इस बीमारी के होने के बाद सांस लेने में परेशानी होती है। यदि कोई व्यंक्ति इसके संपर्क में आता है तो उसे भी डिप्थीरिया हो सकता है।
सीएमओ ने बताया कि यह कॉरीनेबैक्टेरियम डिप्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इसके बैक्टीरिया टांसिल व श्वास नली को संक्रमित करते हैं । संक्रमण के कारण एक ऐसी झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है और कुछ मामलों में तो मौत भी हो जाती है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने पांच साल तक के बच्चों का टीकाकरण जरूर कराएं l
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने बताया कि यह बीमारी बड़े लोगों की तुलना में बच्चों को अधिक होती है। इस बीमारी के होने पर गला सूखने लगता है, आवाज बदल जाती है, गले में जाल पड़ने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है। इलाज न कराने पर शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण फैल जाता है। डिप्थीरिया से संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने पर अन्य बच्चों को भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है।
डॉ सिंह ने कहा कि यदि बच्चेे को नियमित टीके लगवाये जायें तो जान बच सकती है। नियमित टीकाकरण में डीपीटी (डिप्थीरिया, परटूसस काली खांसी और टिटनेस) का टीका लगाया जाता है। एक साल के बच्चे को डीपीटी के तीन टीके लगते हैं। इसके बाद डेढ़ साल पर चौथा टीका और चार साल की उम्र पर पांचवां टीका लगता है। टीकाकरण के बाद डिप्थीरिया होने की संभावना नहीं रहती है।
डिप्थीरिया के कारण
• यह एक संक्रमण की बीमारी है जो इसके जीवाणु के संक्रमण से फैलती है।
• इसका जीवाणु पीडि़त व्यक्ति के मुंह, नाक और गले में रहते हैं।
• यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फैलता है।
• बारिश के मौसम में इसके जीवाणु सबसे अधिक फैलते हैं।
• यदि इसके इलाज में देरी हो जाये तो जीवाणु पूरे शरीर में फैल जाते हैं।