बाराबंकी: सियार ने तीन लोगों पर हमला किया, ग्रामीणों ने पीटकर मार डाला।

in #attack11 days ago

बाराबंकी 05 सितम्बरः(डेस्क)बाराबंकी जिले में जंगली जानवरों के हमले से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

barabanki_a407c9fba941f2f6e78b8e5ef1f06e99.jpeg
Image credit: Amar ujala

हाल ही में मोहम्मदपुर खाला क्षेत्र में एक सियार के हमले में तीन ग्रामीण घायल हो गए। यह घटना बुधवार शाम की है, जब सियार ने कुतुलूपुर गांव के पप्पू, जितेंद्र की पुत्री मीनू और राम लखन पर हमला किया।

ग्रामीणों ने बताया कि सियार ने अचानक उन पर हमला कर दिया, जिससे तीनों घायल हो गए। इसके बाद, गांव के लोगों ने मिलकर सियार को घेराबंदी कर मार डाला। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में जंगली जानवरों के हमले की बढ़ती घटनाओं के कारण लोग पहले से ही भयभीत थे।

जंगली जानवरों का आतंक
बाराबंकी में जंगली जानवरों, विशेषकर भेड़ियों के हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हाल के दिनों में कई गांवों में ऐसे हमले हुए हैं, जिससे ग्रामीणों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी हो रही है।

ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग ने हमले करने वाले जानवर की पहचान नहीं की है और वे उन्हें भेड़िया को सियार बताने का दबाव बना रहे हैं। इस स्थिति ने ग्रामीणों के बीच असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है।

स्वास्थ्य स्थिति
घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सभी घायल खतरे से बाहर हैं, लेकिन उन्हें निगरानी में रखा जाएगा।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है। वन विभाग की टीम जंगली जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए क्षेत्र में गश्त कर रही है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले ताकि भविष्य में ऐसे हमलों से बचा जा सके।

निष्कर्ष
बाराबंकी जिले में जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल लोगों की जान को खतरे में डालती हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

इस स्थिति में, सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करना होगा ताकि ग्रामीणों को सुरक्षित महसूस कराया जा सके और जंगली जानवरों के हमलों को नियंत्रित किया जा सके।