डिंडौरी-अनूपपुर जिले की सीमा से शर्मनाक तस्वीर; आजादी के 75 साल बाद भी पुल नहीं

in #anuppur2 years ago

इस खबर की शुरुआत कवि अदम गोंडवी की इन पक्तियों से इसलिए करनी पड़ रही है। क्योंकि देश आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है, जो ये सोचने पर मजबूर कर रही है कि हम कहां खड़े हैं। ताजा तस्वीर मध्यप्रदेश के डिंडौरी और अनूपपुर जिले की सीमा से आई। जहां एक शव को उफनती नर्मदा में बहा कर नदी पार करना पड़ा। वाकई ये सिस्टम को शर्मसार करने देने वाली तस्वीर है।

ये है पूरा मामला

एक तरफ पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं डिंडौरी और अनूपपुर जिले की सीमा से एक शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां नर्मदा नदी में एक शव तैरता दिखाई दिया। यह शव कहीं से बहकर नहीं आ रहा, बल्कि परिजनों और ग्रामीणों ने इसे श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए नदी में बहाया।
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55 साल के विशमत नंदा को दिल का दौरा पड़ा। वह अनूपपुर जिले के ठाड़पथरा का रहने वाला था। चूंकि यह गांव जिले के अंतिम छोर पर है, लिहाजा लोग इलाज के लिए नजदीक के डिंडौरी जिला अस्पताल जाते हैं। विशमत नंदा को भी डिंडौरी जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने उनके शव को एंबुलेंस से गांव भेजने की व्यवस्था की। मुश्किल ये थी कि डिंडौरी से उसके गांव के बीच नर्मदा नदी बहती है। बारिश के चलते नर्मदा उफान पर है, और उस पर पुल भी नहीं बना है। ऐसे में एंबुलेंस शव को नर्मदा किनारे छोड़ कर चली गई।

शव को नदी किनारे छोड़ने के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने शव को ट्यूब पर बांधा। दो लोग ट्यूब से बंधे शव को लेकर नदी में उतरे और उफान के बीच शव को नदी पार कराई। तब कहीं जाकर विशमत का अंतिम संस्कार किया जा सका। ग्रामीणों ने बताया कि अनूपपुर जिले के ग्राम ठाड़पथरा और डिंडौरी जिला के बजाग जनपद क्षेत्र की ग्राम पथरकूचा के बीच नर्मदा नदी बहती है। जहां बाढ़ आने से अक्सर ऐसे हालात बनते हैं।